योजना में मुरादनगर जल नियामक के जरिये दिल्ली में सोनिया विहार जल शोधन संयंत्र को 270 क्यूसेक शोधित जल की आपूर्ति की जानी थी। इसके बदले में इतनी ही मात्रा में जल ओखला सीवेज शोधन संयंत्र से आगरा नहर में छोड़े जाने का प्रस्ताव था। आरटीआई आवेदन के जवाब में मिले दस्तावेज के अनुसार, दोनों राज्यों ने तीन मई 2018 से जल साझा करने की योजना को लेकर कई बैठकें कीं। दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल और तत्कालीन मुख्य सचिव विजय कुमार देव ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से समझौते को अंतिम रूप देने का अनुरोध किया था। यूपी जल निगम ने एक जुलाई 2020 को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को भेजी व्यवहार्यता रिपोर्ट में कहा था कि परियोजना व्यावहारिक है।
डीजेबी ने 70 लाख रुपये का किया था भुगतान
डीजेबी ने व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए 70 लाख रुपये का भुगतान किया था। दिल्ली सरकार ने पाइपलाइन बिछाने व यूपी से अशोधित जल की आपूर्ति के लिए आवश्यक निर्माण व मरम्मत कार्य की लागत वहन करने तथा आगरा नहर में शोधित जल छोड़ने पर सहमति जताई थी। बैजल ने पिछले साल 14 जून को फोन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी और 23 जून को उन्हें पत्र लिखकर मुराद नगर से दिल्ली को 270 क्यूसेक (14 करोड़ गैलन प्रतिदिन) अशोधित उपलब्ध कराने के लिए संबंधित विभाग को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
दिल्ली को 1200 एमजीडी जल की होती है आवश्यकता
दिल्ली को लगभग 1,200 एमजीडी जल की आवश्यकता होती है, जबकि डीजेबी लगभग 950 एमजीडी की आपूर्ति करता है। हरियाणा दो नहरों के जरिये दिल्ली को कुल 610 एमजीडी जल की आपूर्ति करता है।इसके अलावा, दिल्ली को ऊपरी गंगा नहर के जरिए उत्तर प्रदेश से 253 एमजीडी जल प्राप्त होता है और 90 एमजीडी जल शहर के नलकूपों से प्राप्त किया जाता है।
बैजल ने लिखा था खत
बैजल ने पत्र में लिखा था कि दिल्ली के पास खुद के पर्याप्त जल संसाधन नहीं हैं और वह अपने पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस संबंध में संबंधित विभाग को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करें। पिछले साल दो फरवरी को देव ने यूपी के मुख्य सचिव आरके तिवारी को पत्र लिखकर समझौते को अंतिम रूप देने का अनुरोध किया था।
- बढ़ती जनसंख्या के बीच दिल्ली को आवश्यकता को पूरा करने के लिए 265 एमजीडी अतिरिक्त अशोधित जल की आवश्यकता है। पत्र के अनुसार, एक जुलाई, 2020 की व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार यूपी के लिए दिल्ली को 270 क्यूसेक अशोधित जल उपलब्ध कराना संभव है।
सक्षम प्राधिकारी ने व्यवहार्यता रिपोर्ट को नहीं दी मंजूरी : यूपी
यूपी सरकार के कार्यकारी अभियंता ने नौ जुलाई 2021 को एक पत्र में डीजेबी को सूचित किया कि सक्षम प्राधिकारी ने व्यवहार्यता रिपोर्ट को मंजूरी नहीं दी है और इसे अमान्य माना जा सकता है। आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार, यूपी सरकार ने योजना से पीछे हटने की वजह बताए बिना 70 लाख रुपये की राशि भी वापस कर दी। दस्तावेज से पता चलता है कि डीजेबी ने बाद में दिल्ली सरकार से कहा था कि यूपी सरकार की सहमति लेने के लिए उच्च स्तर पर दखल और अनुरोध किया जाना चाहिए, लेकिन उपराज्यपाल व मुख्य सचिव के अनुरोध पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।