अपनों के खून से रंगे ‘लाल’ के हाथ: सबसे ज्यादा चाहने वाली दादी को पहले मारा, दो दिन पहले आई थीं पोते को देखने

द ब्लाट न्यूज़ पालम इलाके में नशे के लिए पैसे नहीं देने पर युवक ने दादी और मां-पिता समेत परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या दी। आरोपी केशव परिवार के सदस्यों की हत्या की साजिश कई दिनों से रच रहा था।

 

 

पुलिस पूछताछ में आरोपी ने यह बात स्वीकार की है। साजिश के तहत ही वह बड़ा वाला चाकू लेकर आया था। परिजनों ने बताया कि जिस पोते से दादी दीवानो देवी सबसे अधिक प्यार करती थी, उसने उन्हें भी नहीं छोड़ा। दीवानो देवी अक्सर केशव को चुपचाप रुपये दे देती थीं। कई दिन बाद जब केशव घर आया था तो वह खुद को रोक नहीं सकीं और उससे मिलने के लिए छोटे बेटे दिनेश के घर चली गईं। फिलहाल दो दिनों से वह वहीं रुकी हुई थीं। अब बड़े बेटे चंद्रपाल को मलाल है कि मां क्यों उनका घर छोड़कर छोटे भाई के यहां चली गई थी। आरोपी केशव पिता दिनेश कुमार से सबसे ज्यादा गुस्से में रहता था। इसकी वजह ये थी कि उसकी दादी व मां तो उसे पैसे दे देती थी, लेकिन पिता पैसे नहीं देते थे। पिता हमेशा पैसे देने का विरोध करते थे। यही वजह है कि उसने पिता पर चाकू से 18 से 20 वार किए। माता-पिता की हत्या करने के बाद शवों को बाथरूम में डाल दिया था। पुलिस ने आरोपी को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में केशव ने बताया है कि उसने सबसे पहले दादी दीवानो देवी की हत्या की। पहले दादी का गला दबाया फिर चाकू से वार किए। इसके बाद मां की हत्या की। आरोपी ने मां दर्शना सैनी पर चाकू से आठ से 10 वार किए। इसके बाद पिता की हत्या की। पिता पर उसने करीब 20 बार चाकू से वार किया। इसके बाद उसने बहन उर्वशी की हत्या की। बहन पर उसने आठ से 10 बार वार किए। पुलिस के अनुसार केशव स्मैक पीता था। वह नशे के लिए आए दिन पैसे मांगता था। इस कारण परिवार में हर रोज झगड़ा होता था। इससे केशव तंग आ गया था। पैसे नहीं मिलने पर वह नशा नहीं कर पाता था और आए दिन आगबबूला हो जाता था। पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है कि वह परिवार के सदस्यों के साथ पहले भी मारपीट कर चुका है। पालम थाने में लॉकअप नहीं है। इस कारण आरोपी को दिल्ली कैंट थाने के लॉकअप में रखा गया है। पालम थाने की एक टीम दिल्ली कैंट के थाने में आरोपी से देर रात पूछताछ कर रही थी। पालम इलाके में नशे के लिए पैसे नहीं देने पर परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या नशा जनित बर्बादी का दुष्परिणाम है। मनोचिकित्सकों का मानना है कि नशे की तलब के आगे व्यक्ति को कुछ नहीं सूझता है। अगर व्यक्ति गुस्सैल स्वभाव का है तो वह अधिक खतरनाक हो जाता है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. लोकेश शेखावत ने बताया कि नशे की लत के कारण व्यक्ति संवेदनहीन हो जाता है। उसका घर-परिवार से भावनात्मक जुड़ाव धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को नशा करने से रोका जाए तो परिणाम की चिंता किए बगैर कुछ भी कर जाता है। ऐसे लोगों को परिवार और समाज से कोई मतलब नहीं रहता है। उनके जीवन के लिए नशा ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीं, नशा मुक्ति विशेषज्ञ डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि नशे की लत बढ़ने के साथ ही नशीला पदार्थ लेने की मात्रा भी बढ़ती जाती है। इसके व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होती है। नशा नहीं मिलने पर उसे बेचैनी, घबराहट और अनिद्रा की शिकायत होने लगती है। साथ ही, स्वभाव गुस्सैल हो जाता है। ऐसे में नशापान करने में कोई रुकावट बनता है तो वह उसे रास्ते से हटाने की सोचने लगता है। नशे ने केशव को भी इस कदर कैद में जकड़ लिया कि उसने परिजनों को ही मौत के घाट उतार दिया।

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