इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) 2022 का थीम ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) का संचालन’ है। इसके बारे में 04 नवंबर 2019 को बैंकॉक में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की थी।
यह संवाद परस्पर सात स्तंभों पर केंद्रित है। जिनमें समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, आपदा जोखिम में कमी और प्रबंधन, व्यापार-कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन, क्षमता-निर्माण और संसाधन साझा करना और विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं शैक्षणिक सहयोग शामिल हैं।
आईपीआरडी-2022 में होंगे छह सत्र –
- भारत-प्रशांत में समग्र समुद्री सुरक्षा का ताना-बाना बुनना: बहुपक्षीय विकल्प।
- हिंद-प्रशांत के पश्चिमी और पूर्वी समुद्री विस्तार में समग्र-सुरक्षा पुलों का निर्माण।
- समुद्री संपर्क का निर्माण: बंदरगाह, व्यापार और परिवहन, क्षमता-निर्माण और क्षमता वृद्धि भौतिक और सामाजिक विज्ञान का लाभ उठाना।
- रीजनल ब्लू इकोनॉमी के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण।
- आपदा जोखिम में कमी और प्रबंधन।
- छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) और कमजोर तटीय राज्यों के लिए समाधान।
इसके अलावा, एक उद्घाटन सत्र और एक मार्गदर्शन सत्र होगा जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव संबोधित करेंगे। नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) नौसेना का सूचना साझेदार और प्रत्येक इवेंट संस्करण का मुख्य आयोजक है। आईपीआरडी के पहले दो संस्करण क्रमशः 2018 और 2019 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे। हालांकि, आईपीआरडी 2020 को कोविड-19 के कारण रद्द कर दिया गया था। आईपीआरडी का तीसरा संस्करण 2021 में ऑनलाइन तरीके से हुआ था। आईपीआरडी के प्रत्येक क्रमिक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की समीक्षा करना है।आईपीआरडी के प्रत्येक सिलसिलेवार संस्करण का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों की समीक्षा करना है। इस वार्षिक संवाद के माध्यम से भारतीय नौसेना और एनएमएफ हिंद-प्रशांत के समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक विकास से संबंधित विषयों पर गहन चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करती है।