द ब्लाट न्यूज़ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को अहमदाबाद में गुजरात विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए एक स्टार्ट-अप मंच का शुभारंभ किया। श्रीमती मुर्मू ने शिक्षा और जनजातीय विकास से संबंधित गुजरात सरकार की विभिन्न परियोजनाओं का गुजरात विश्वविद्यालय से वर्चुअली उद्घाटन/शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ के कस्तूरीरंगन और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. विक्रम साराभाई जैसे पूर्व छात्रों वाले संस्थान का विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय के परिसर में 450 से अधिक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं, इसके अलावा महिलाओं के नेतृत्व वाले 125 से अधिक स्टार्ट-अप को इस विश्वविद्यालय द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन दिया जा रहा है। इसके साथ ही लगभग 15,000 महिला उद्यमी इस पहल के साथ ऑनलाइन या ऑफलाइन रूप से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के स्टार्ट-अप अनुकूल विश्वविद्यालय में महिला उद्यमियों को समर्पित एक स्टार्ट-अप प्लेटफॉर्म का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह मंच न केवल महिला उद्यमियों के नवाचार और स्टार्ट-अप्स प्रयासों को बढ़ावा देगा बल्कि महिला उद्यमियों को विभिन्न सरकारी और निजी उद्यमों से जोड़ने में भी एक प्रभावी मंच सिद्ध होगा।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि उन्हें गुजरात में शिक्षा, विशेषकर लड़कियों और आदिवासी शिक्षा से संबंधित सैनिक स्कूल, बालिका साक्षरता आवासीय विद्यालय और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जैसी परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए भी प्रसन्नता हो रही है, क्योंकि विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाने की आधारशिला का निर्माण स्कूली शिक्षा के माध्यम से किया जाएगा।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि गुजरात ने अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले दो दशकों में राज्य में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की दर 22 प्रतिशत से घटकर 1.37 प्रतिशत हो गई है। शिक्षक-छात्र अनुपात सुधरकर 40 से 26 हो गया है। आज ‘विद्या समीक्षा केंद्र‘ के माध्यम से लगभग 55,000 स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है जिसके परिणामस्वरूप छात्रों के सीखने के परिणाम में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस‘ के तहत अगले पांच वर्षों में राज्य के लगभग 20,000 स्कूलों के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि गुजरात ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। 2001-02 में जहां राज्य में कॉलेजों की संख्या 775 थी, जबकि 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 3,100 से अधिक हो गई। उच्च शिक्षा के मूल्यांकन के लिए इस राज्य में भारत की पहली शिक्षा गुणवत्ता और निगरानी सैल, ‘गरिमा सेल‘ स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘वन बंधु-कल्याण योजना’ के प्रभावी क्रियान्वयन से आदिवासी समाज की साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस योजना ने जनजातीय छात्रों की बीच में ही स्कूल छोड़ने की दर में भी काफी सुधार हुआ है। गुजरात पिछले दो दशकों में विकास के कई मानकों पर अग्रणी राज्य रहा है। इसने उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचे के समग्र विकास में कई मानक प्रस्तुत किए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक राज्य का विकास का अपना मॉडल होता है, जो राज्य के संसाधनों और जरूरतों के अनुसार निर्धारित होता है, लेकिन गुजरात ने जिस तरह से चहुंमुखी प्रगति की है, उसने अन्य राज्यों को भी समग्र विकास का मार्ग दिखाया है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यदि सभी राज्य एक-दूसरे से सीखकर और अपने सफल मॉडल को अपनाकर आगे बढ़ते हैं तो भारत ‘अमृत-काल’ के दौरान एक विकसित देश के रूप में अपना स्थान सुरक्षित कर लेगा।