द ब्लाट न्यूज़। शादी के केवल दस दिन बाद नवदंपत्ति ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। इस दौरान पत्नी की मौत हो गई वहीं पति की हालत गंभीर है। युवक का इलाज उत्तराखंड के काशीपुर स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने मृतका की लाश कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
ये मामला बिजनौर के बड़ापुर थाना क्षेत्र के भोगपुर गांव का है। दस दिन पहले जरनैल सिंह ने अपनी बेटी नीलम की शादी गांव के ही युवक बिंदर सिंह के साथ की। युवक-युवती दोनों पहले से ही प्रेम प्रंसग था। शादी के बाद दोनों हंसी-खुशी रह रहे थे। लेकिन इनकी खुशी कई दिनों तक नहीं रह सकी। रविवार को नविवाहिता ने जहर खा लिया।
इसके बाद पति ने भी कीट मारने वाली दवाई खा ली। दोनों को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पत्नी की मौत हो गई वहीं पति की हालत नाजुक बनी हुई है युवती के परिजनों ने ससुराल पक्ष पर दहेज के लिए जहर देकर मारने का आरोप लगाया।
परिजनों का कहना है कि मृतका के पति और पिता दहेज में दो लाख रुपये और एक बुलेट बाइक की डिमांड कर रहे थे। युवती की पिता ने पति बिंदर सिंह, देवर सोनू, ससुर गुरनाम और सास गुरमीत के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया।
ग्रामीणों ने बताया कि रविवार को पति-पत्नी में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। जिससे पड़ोसी भी घर पर एकत्रित हो गए थे। इस घटना के कुछ देर बाद ही युवती ने जहर खा लिया। पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने बताया कि ससुराल पक्ष पर 498ए और 304बी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की तहकीकात की जा रही है। पहली नजर में ये मामला आत्महत्या का लग रहा है लेकिन फिर भी सभी पहलूओं को ध्यान में रख कर मामले की जांच की जाएगी।
बस्ती की अदालत में जज ने थानेदार को दी दिन भर कोर्ट में खड़े रहने की सजा, जुर्माना भी लगाया
बस्ती, 20 सितंबर (वेब वार्ता)। यूपी की बस्ती में एक अदालत में जज ने थानेदार को दिन भर कोर्ट में खड़े रहने की सजा सुना दी। यही नहीं उन पर 80 रुपए का जुर्माना भी लगाया। कहा कि जुर्माना न देने पर 7 दिन का कारावास भुगतना होगा बस्ती जिले के हर्रैया के थानेदार को यह सजा न्यायालय के आदेश के अनुपालन में लापरवाही बरतने पर मिली।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्पिता यादव ने उन्हें दोषी मानते हुए दंडित किया। न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के मामलों को देखने की जिम्मेदारी भी थानेदार हर्रैया को सौंपी थी न्यायालय में सरकार बनाम विपिन शुक्ला नाम से जनप्रतिनिधि की पत्रावली विचाराधीन है। जो साक्ष्य की कार्यवाही में चल रही है।
न्यायालय द्वारा कई बार थानाध्यक्ष हर्रैया को साक्षियों को प्रस्तुत करने के लिए समन भेजा गया, परंतु थानाध्यक्ष ने उदासीनता बरती। किसी भी साक्षी को अदालत में प्रस्तुत नहीं किया गया। जो भी साक्षी आये वह न्यायालय की नोटिस पर आए। उसमें थानाध्यक्ष का योगदान नहीं था
जिससे क्षुब्ध होकर न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। आरोपी थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्रकीर्ण वाद धारा 345 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज कर लिया गया। उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया। परंतु थानाध्यक्ष ने न्यायालय के द्वारा जारी नोटिस का स्पष्टीकरण देने में भी उदासीनता बरती।
उप महानिरीक्षक पुलिस बस्ती को न्यायालय ने पत्र लिखा और थानाध्यक्ष की उपस्थिति सुनिश्चित करने की अपेक्षा की। सोमवार को थानाध्यक्ष कोर्ट में हाजिर हुए और सन्तोषजनक जबाब न होने पर अदालत ने उन्हें दंडित किया।