ब्रॉडबैंड के लिये उच्च फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम बैंड के बारे में निर्णय चार-पांच माह में

 

द ब्लाट न्यूज़ । दूरसंचार सचिव के राजारमन ने सोमवार को कहा कि दूरसंचार और उपग्रह परिचालकों को आपसी तालमेल के साथ एक ही स्पेक्ट्रम बैंड के उपयोग पर गौर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च फ्रीक्वेंसी वाले ब्रॉडबैंड के उपयोग के बारे में निर्णय चार-पांच माह में किये जाने की उम्मीद है।

राजारमन ने गैर-लाभकारी संगठन आईटीयू-एपीटी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में कहा कि देश में डिजिटल तकनीक अपनाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ‘डेटा’ की खपत बढ़ेगी और इससे स्पेक्ट्रम के उपयोग पर दबाव भी बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि स्थलीय नेटवर्क (मोबाइल नेटवर्क) और गैर-स्थलीय नेटवर्क (उपग्रह आधारित नेटवर्क) के साथ तालमेल की संभावना पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण है।

 

राजारमन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि विकल्प उपलब्ध हैं और इसीलिए हम अगले चार या पांच महीनों में निर्णय ले सकते हैं।’’

उल्लेखनीय है कि दूरसंचार विभाग ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज, ई ( 71-76 गीगाहर्ट्ज और 81-86 गीगाहर्ट्ज) तथा वी (57-64 गीगाहर्ट्ज) समेत उच्च फ्रीक्वेंसी के बैंड के बारे में सिफारिशें मांगी हैं।

डिजिटल संचार आयोग के सदस्य (प्रौद्योगिकी) एके तिवारी ने कहा कि सह-अस्तित्व के मुद्दे को हल करने के लिये दुनिया भारत की ओर देख रही है। अगर ट्राई इसे सफलतापूर्वक हल करता है तो विश्वस्तर पर कई देश इसे अपनाएंगे।

उपग्रह परिचालकों ने सरकार से उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज बैंड आरक्षित करने को कहा है। उन्होंने इसे बिना नीलामी के आवंटित किये जाने का आग्रह किया है।

दूसरी ओर, दूरसंचार कंपनियां चाहती हैं कि 2जी मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार व्यावसायिक उपयोग के लिये सभी स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए।

तिवारी ने कहा कि स्पेक्ट्रम एक दुर्लभ संसाधन है और यह एक सार्वजनिक वस्तु है जिसका निष्पक्ष तथा पारदर्शी तरीके से अनुकूलतम उपयोग किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत 5जी के लिये मध्यम-बैंड में 370 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी की नीलामी करने में सक्षम रहा है लेकिन 6जी सेवाओं के लिये समान रेंज में कम-से-कम 2,000 मेगाहर्ट्ज की आवश्यकता होगी।

कई सरकारी विभागों ने या तो अपनी सेवाओं के लिए मध्यम-बैंड फ्रीक्वेंसी का उपयोग करने के लिये उपकरण तैनात किये हैं या इसे उनके विशिष्ट उपयोग के लिये राष्ट्रीय फ्रीक्वेंसी आवंटन योजना के तहत निर्धारित किया गया है।

उपग्रह सेवाओं के तहत आमतौर पर उच्च आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) बैंड का उपयोग किया जाता है। उपग्रह प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ उच्च फ्रीक्वेंसी बैंड की मांग भी बढ़ने लगी है।

 

 

Check Also

भारतीय बैंकों में पिछले 10 सालों में 3.94 लाख करोड़ रुपये की हुई धोखाधड़ी

RTI Exclusive: भारतीय बैंकों में पिछले 10 सालों में 3.94 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी …