द ब्लाट न्यूज़ । संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाहक मानवाधिकार प्रमुख नदा अल-नाशिफ ने सोमवार को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से ऐसे समय में अक्षय ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को विकसित करने के अपने प्रयासों से ‘‘पीछे हटने’’ से बचने का आग्रह किया जब ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने कुछ को जीवाश्म ईंधन के उपयोग एवं खोज को बढ़ावा देने को प्रेरित किया है।
मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक उच्चायुक्त नादा अल-नाशिफ ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के नवीनतम सत्र के उद्घाटन भाषण में इथियोपिया, यूक्रेन, म्यांमार और हैती सहित 30 से अधिक देशों, क्षेत्रों के बारे में मानवाधिकार संबंधी चिंताओं का उल्लेख किया।
उन्होंने यूक्रेन में रूस के युद्ध के प्रत्यक्ष प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त करने के अलावा यह उल्लेख किया कि युद्ध ने कैसे इन दो देशों से खाद्य और ईंधन के निर्यात को प्रभावित किया है, जो इन दोनों के प्रमुख उत्पादक हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इसके चलते कैसे यूरोपीय संघ के सदस्य देश ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए कैसे संघर्ष कर रहे हैं।
अल-नाशिफ ने कहा, ‘‘ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सर्दियों से पहले यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देश जीवाश्म ईंधन के बुनियादी ढांचे और आपूर्ति में निवेश की ओर रुख कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम की जरुरत को समझा जा सकता है। उन्होंने जीवाश्म हालांकि ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के दीर्घकालिक परिणामों की चेतावनी दी जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। उन्होंने ऊर्जा-दक्षता परियोजनाओं और नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से विकास का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा जलवायु संकट के मद्देनजर ऊर्जा-दक्षता परियोजनाओं और नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से विकास से पीछे नहीं हटा जा सकता।’’ परिषद में चार सप्ताह चलने वाले शरद सत्र में संयुक्त राष्ट्र के 47 सदस्य देश हिस्सा लेंगे।