द ब्लाट न्यूज़ । देश में आईआईटी जैसे संस्थान अब पढ़ाई के साथ-साथ ओलंपिक खेलों में भारत की मदद करेंगे। इसके लिए भारत सरकार ने कुछ खास खेलों को चुना है इनमें तीरंदाजी, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, बैडमिंटन, कुश्ती, हॉकी, मारोत्तोलन, साइकिलिंग और एथलेटिक्स शामिल हैं। आईआईटी में खास रिसर्च के माध्यम से ऐसे सॉफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं जिनकी मदद से भारतीय खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करते हुए अधिक मेडल जीत सके। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। वर्ष 2024 के ओलंपिक में भारत को ज्यादा पदक दिलाने के लक्ष्य से आईआईटी बॉक्सिंग एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर का विकास करेगा।
स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग अभी शिक्षा का नया क्षेत्र है। परस्पर संबद्ध विषयों के इस विशेष क्षेत्र में गणित, भौतिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईओटी संचालित वियरेबल का उपयोग होता है। स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग की मदद से किसी खेल के शरीर विज्ञान और जैव-यांत्रिकी की गहरी सूझबूझ मिलती है। इससे खेल की चुनौतियों को सुलझाने और बेहतर खेल उपकरण तैयार करने में मदद मिलेगी।
ओलंपिक 2024 में पदकों की संख्या बढ़ाना एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसे प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने कुछ खास खेलों को चुना है जिन्हें बढ़ावा देने के प्रयास तेज किए जाएंगे। इनमें तीरंदाजी, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, बैडमिंटन, कुश्ती, हॉकी, मारोत्तोलन, साइकिलिंग और एथलेटिक्स शामिल हैं। भारत जैसे विकासशील देशों को ओलंपिक पदक जीतने में सफलता मिलने में लगभग एक दशक या अधिक समय लगता है। लेकिन आज खिलाडियों के प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार करने में प्रौद्योगिकी मुख्य भूमिका निभाती है। आईआईटी मद्रास ने इसी ²ष्टिकोण से स्मार्ट बॉक्सर का विकास किया है।
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोटर्स (आईआईएस) टीम के साथ मिल कर एक कारगर किफायती विश्लेषण प्लैटफॉर्म का विकास कर रहे हैं। इसका मकसद 2024 ओलंपिक मुक्केबाजी में भारत के पदक की संख्या में बढ़ोतरी करना है। स्मार्टबॉक्सर नामक विश्लेषण प्लेटफॉर्म का विकास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड एनालिटिक्स कर रहा है। यह मल्टी वर्जन सॉफ्टवेयर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सक्षम सेंसर और वीडियो कैमरों के उपयोग से फीडबैक और प्रदर्शन का मूल्यांकन सामने रख कर भारतीय एथलीटों को उच्च स्तरीय प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने में मदद करेगा।
इस शोध में इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित सेंसर और वीडियो कैमरों के उपयोग से खिलाड़ी के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाएगा। इसमें आईओटी आधारित प्रोडक्ट का उपयोग शामिल हैं। पंच फोर्स के विश्लेषण के लिए सेंसर लगे ग्लव्स, ग्राउंड रिएक्शन फोर्स रिकॉर्ड करने के लिए प्रेशर सेंसर के साथ खिलाड़ी के शरीर के नीचले भाग का मूवमेंट रिकॉर्ड करने के लिए वायरलेस फुट इनसोल, वायरलेस ईएमजी सेंसर हैं। खिलाड़ी के शरीर के ऊपरी भाग का मूवमेंट रिकॉर्ड करने के लिए इनर्शियल मूवमेंट यूनिट है। बॉक्सिंग रिंग में लगे वीडियो कैमरे खिलाड़ी के बाएं और दाएं हाथ की पहचान करेंगे और उनके मूवमेंट को अटैक, डिफेंस या फेंट के रूप में वर्गीकृत करेंगे।
कर्नाटक के बेल्लारी स्थित इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट (आईआईएस) में मुक्केबाजों के प्रदर्शन के विश्लेषण के लिए स्मार्टबॉक्सर लगाया जाएगा। आईआईएस के फीडबैक के आधार पर स्मार्टबॉक्सर के एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म में बदलाव किए जाएंगे। इस तरह कोच और मुक्केबाज इस सॉफ्टवेयर का अधिक कारगर उपयोग कर पाएंगे।
स्मार्टबॉक्सर से कैसे ओलंपिक में भारत का पदक बढ़ेगा इस पर प्रकाश डालते हुए आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर रंगनाथन श्रीनिवासन ने कहा, नई विकसित प्रौद्योगिकी संरचनात्मक लक्ष्य से खिलाड़ियों के प्रदर्शन की पहचान समझ विकसित करने और सुधारने में कोच और उच्च कोटि के एथलीट के बीच सेतु का काम करेगी। स्मार्टबॉक्सर आईआईटी मद्रास के विभिन्न प्रयासों में एक है जो अधिक से अधिक ओलंपिक पदक जीतने के भारत सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरे करने में संस्थान ने किए हैं।
इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (आईआईएस) में युवा विकास (बॉक्सिंग) के प्रमुख जॉन वारबर्टन ने कहा, इस सिस्टम से हम किसी मुक्केबाज के प्रदर्शन का विश्लेषण कर उसमें काफी सुधार कर पाएंगे। हम मुक्केबाजों को उनकी ताकत के साथ-साथ यह भी बता पाएंगे कि किन पहलुओं में विकास करना होगा। यह उच्च कोटि के एथलीट के बीच सेतु का काम करेगी।