द ब्लाट न्यूज़ । उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के बेल्लारी, चित्रदुर्ग और तुमकुरू जिलों के लिए लौह अयस्क के वार्षिक उत्पादन की सीमा शुक्रवार को बढ़ा दी।
न्यायालय ने चित्रदुर्ग और तुमकुरू जिलों के लिए वार्षिक लौह अयस्क उत्पादन सीमा 70 लाख टन से बढ़ाकर 1.5 करोड़ टन कर दी है। वहीं, बेल्लारी के लिए यह सीमा मौजूदा 2.8 करोड़ टन से बढ़ाकर 3.5 करोड़ टन प्रतिवर्ष कर दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश उन याचिकाओं पर दिया है जिनमें अन्य राज्यों की तरह लौह अयस्क उत्खनन पर लगी सीमा हटाने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार-प्राप्त समिति ने भी कर्नाटक के तीन जिलों में लौह अयस्क खनन की सीमा को हटाने का समर्थन किया था। लेकिन न्यायालय ने सीमा हटाने के बजाय खनन की अधिकतम सीमा बढ़ा दी।

इससे पहले, 20 मई को न्यायालय ने तीन जिलों की खदानों से पहले निकाले जा चुके लौह अयस्क को राज्य के बाहर और अन्य देशों में बेचने की अनुमति दी थी। न्यायालय ने कहा था कि इसके लिए ई-नीलामी के बजाय सीधे अनुबंध के आधार पर लौह अयस्क आवंटित करने की अनुमति प्रदान की जा जाती है।
उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर लगाम लगाने के मकसद से वर्ष 2012 में कर्नाटक से लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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