लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के तीन जुलाई को होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी का जिन जिलों में खराब प्रदर्शन होगा वहां के नेताओं व संगठन पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके संकेत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछले दिनों 11 जिलाध्यक्षों को हटाकर पहले ही दे चुके हैं। अखिलेश यादव पंचायत चुनाव के बाद नए सिरे से संगठन को मथेंगे और ‘बाइस में बाइसकिल’ का लक्ष्य लेकर संगठन को नई धार देंगे।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कई जिलों में समाजवादी पार्टी को अपनों से धोखा मिला है। इस कारण 17 जिलों में पार्टी के समर्थित उम्मीदवार नामांकन तक नहीं कर सके। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का मानना है कि यदि इन जिलों में संगठन मजबूत होता तो भाजपा निर्विरोध चुनाव न जीतती। अब तीन जुलाई को परिणाम आने के बाद सपा नए सिरे से संगठन की समीक्षा करेगी।
विधानसभा चुनाव के समर में कूदने से पहले अखिलेश यादव संगठन को मजबूत करेंगे। उन्होंने पंचायत चुनाव में दगा देने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं को चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। इन पर भी पार्टी कार्रवाई करेगी। समाजवादी पार्टी गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्धनगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा व ललितपुर के जिलाध्यक्षों को नए सिरे से नियुक्त करेगी। जहां भी संगठन सुस्त नजर आएगा वहां नए पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। सपा अपने संबद्ध संगठनों में भी ऐसे नेताओं को चिह्नित कर रही है जो शिथिल हैं। इन्हें भी पार्टी जल्द बाहर का रास्ता दिखाएगी।
बता दें कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फिर दोहराया है कि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता बदलाव चाहती है और वह वर्ष 2022 के चुनाव में बदलाव के लिए मतदान करेगी। आरोप लगाया कि भाजपा अपना संकल्प पत्र भूल गई है और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया है। अखिलेश ने कहा कि जनता 2022 में भाजपा को जवाब देने के लिए तैयार बैठी है। पंचायत चुनाव में भाजपा ने नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पराजय मिली। भाजपा सरकार ने पूरी मशीनरी को चुनाव जिताने के लिए लगा दिया।