द ब्लाट न्यूज़ । इसकी शुरुआत अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के अपना तीसरा कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त होने के बावजूद पद नहीं छोड़ने से हुई और अब उसका सबसे बुरा परिणाम भारत पर फीफा प्रतिबंध के रूप में सामने आया।
पटेल ने उच्चतम न्यायालय में 2017 से लंबित मामले का सहारा लेकर शीर्ष अदालत में नए संविधान को लेकर मसला सुलझने तक चुनाव कराने से इंकार कर दिया था। खेल संहिता के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय खेल महासंघ में कोई व्यक्ति अधिकतम 12 साल तक अपने पद पर रह सकता है और पटेल ने वह अवधि पूरी कर ली थी। इसके बाद मामला अदालत में गया और उससे हस्तक्षेप की मांग की गई। फीफा ने तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी को देखते हुए एआईएफएफ को निलंबित कर दिया। यहां पर इस पूरे घटनाक्रम की समय सीमा का ब्योरा दिया जा रहा है।
18 मई- उच्चतम न्यायालय के फैसले ने एआईएफएफ प्रमुख प्रफुल्ल पटेल और उनकी कार्यकारी समिति को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया। उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त् एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) की भी नियुक्ति की।
23 मई- प्रफुल्ल पटेल ने फीफा प्रमुख जियानी इन्फेंटिनो से अनुरोध किया कि एआईएफएफ का संचालन प्रशासकों की समिति को सौंपे जाने के बाद देश पर प्रतिबंध न लगाया जाए।
29 मई- सीओए सदस्य एस वाई कुरैशी ने कहा कि सितंबर के आखिर तक एआईएफएफ का एक नव-निर्वाचित निकाय होना चाहिए और एक संशोधित संविधान 15 जुलाई तक उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
11 जून- सीओए और कुछ संबद्ध इकाइयों के सदस्य राष्ट्रीय खेल संहिता, फीफा और एएफसी क़ानूनों का पालन करने वाले एक नए संविधान के तहत राष्ट्रीय महासंघ के लंबे समय से लंबित चुनावों को जल्द से जल्द कराने पर चर्चा करने के लिए बैठक में शामिल होते हैं।
21 जून- फीफा-एएफसी दल और भारतीय फुटबॉल का संचालन कर रहे सीओए के बीच पहले दौर की बातचीत ‘अच्छी’ रही।
22 जून- एआईएफएफ सदस्य इकाइयां फीफा-एएफसी के दल से मिलीं और उन्हें राष्ट्रीय खेल निकाय में उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बारे में बताया।
23 जून- फीफा-एएफसी दल ने व्यवस्था में सुधार के लिए समय सीमा तय की। हितधारकों से 31 जुलाई तक संविधान को मंजूरी देने और 15 सितंबर तक चुनाव कराने के लिए कहा।
13 जुलाई- सीओए ने फीफा को एआईएफएफ का अंतिम मसौदा संविधान भेजा।
16 जुलाई- सीओए ने एआईएफएफ मसौदा संविधान को मंजूरी के लिए उच्चतम न्यायालय को सौंपा।
18 जुलाई- एआईएफएफ की राज्य इकाइयों ने सीओए द्वारा तैयार अंतिम मसौदा संविधान में कई प्रावधानों पर नाखुशी व्यक्त की, लेकिन कहा कि वे बीच का रास्ता खोजने को तैयार हैं।
-राज्य संघों के प्रतिनिधित्व वाले सात सदस्यीय पैनल ने फीफा को लिखा था कि अंतिम मसौदे के कई खंड भेदभावपूर्ण और अतार्किक हैं।
21 जुलाई- उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के चुनावों में तेजी लाने की आवश्यकता का समर्थन किया।
26 जुलाई- फीफा ने एआईएफएफ से सिफारिश की कि सीओए द्वारा संविधान के मसौदे में निर्धारित 50 प्रतिशत के बजाय एआईएफएफ को अपनी कार्यकारी समिति में 25 प्रतिशत प्रख्यात खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व रखना चाहिए।
28 जुलाई- न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि वह तीन अगस्त को चुनाव कराने के तौर-तरीकों पर सुनवाई करेगी।
तीन अगस्त – उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव जल्द से जल्द कराने के निर्देश दिए।
-शीर्ष अदालत ने कहा कि एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के लिए निर्वाचक मंडल में 36 राज्य संघों के प्रतिनिधि और 36 प्रख्यात फुटबॉल खिलाड़ी शामिल होंगे।
पांच अगस्त – उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ चुनावों के लिए सीओए की समय-सीमा को मंजूरी दी, चुनाव 28 अगस्त को होंगे और चुनाव प्रक्रिया 13 अगस्त से शुरू होगी।
छह अगस्त- फीफा ने तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण एआईएफएफ को निलंबित करने और अक्टूबर में महिला अंडर -17 विश्व कप की मेजबानी अधिकार को छीनने की धमकी दी।
सात अगस्त- सीओए ने फीफा को आश्वासन दिया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को व्यवस्थित करने के लिए तैयार है।
10 अगस्त- सीओए ने एआईएफएफ के अपदस्थ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की ‘कार्यवाही में हस्तक्षेप’ करने के लिए अवमानना याचिका दायर की।
11 अगस्त- उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ अपदस्थ प्रमुख प्रफुल्ल पटेल की बैठकों में भाग लेने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने पर राज्य इकाइयों को चेतावनी दी।
13 अगस्त- एआईएफएफ के 28 अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में शामिल मतदाताओं की सूची में बाईचुंग भूटिया और आईएम विजयन सहित 36 ‘प्रतिष्ठित’ खिलाड़ी शामिल।
15 अगस्त- फीफा ने खेल मंत्रालय को सूचित किया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनावों के लिए निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों को शामिल करने के विरोध पर अडिग है।
फीफा ने ‘तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव’ के कारण एआईएफएफ को निलंबित कियाा और भारत से अंडर -17 महिला विश्वकप के मेजबानी अधिकार छीने।
न्यूजीलैंड ‘ए’ और ऑस्ट्रेलिया ‘ए’ की टीमें भारत दौरे पर आयेंगी
नई दिल्ली, 16 अगस्त (वेब वार्ता)। भारत ‘ए’ टीम आठ महीने में अपना पहला प्रतिस्पर्धा मुकाबला न्यूजीलैंड ‘ए’ टीम के खिलाफ सितंबर-अक्टूबर में खेलेगी जबकि ऑस्ट्रेलिया की ‘ए’ टीम नवंबर में भारत दौरे पर आयेगी। ‘ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ‘ए’ कार्यक्रम ‘वीवीएस लक्ष्मण और उनके एनसीए सहयोगी स्टाफ समूह साईराज बहुतुले और सितांशु कोटक द्वारा संचालित किया जाएगा।’
भारत ‘ए’ की टीम ने इससे पहले पिछले साल नवंबर-दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ब्लूमफोनटेन में तीन अनौपचारिक टेस्ट मैचों की श्रृंखला में भाग लिया था। न्यूजीलैंड की ए’ टीम इस महीने के आखिर में भारत पहुंच जायेगी। टीम तीन चार-दिवसीय मैचों की श्रृंखला में भाग लेगी। यह सभी लिस्ट ‘ए’ मैच बेंगलुरु में खेले जायेंगे। इस दौरे पर गुलाबी गेंद (दिन-रात्रि टेस्ट) से भी एक मैच खेला जा सकता है लेकिन इसके लिए बीसीसीआई से मंजूरी मिलना बाकी है।
न्यूजीलैंड ‘‘ए’’ टीम ने 2017-18 दौरे पर भी विजयवाड़ा में गुलाबी गेंद से एक मैच खेला था। इस दौरे का आयोजन दलीप ट्रॉफी के साथ होगा जिसे आठ से 25 सितंबर तक खेला जायेगा। बीसीसीआई क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से भी ‘‘ए’’ टीम के भारत दौरे के लिए बात कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘बीसीसीआई क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ साल के अंत में दौरे के लिए बातचीत कर रहा है। इस दौरे के नवंबर में होने की संभावना है। यह दौरा रणजी ट्रॉफी की शुरुआत से पहले और बांग्लादेश में होने वाले भारत के अगले टेस्ट कार्यक्रम से पहले होगा।