- श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
- संसद अध्यक्ष अभयवर्धने ने गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
- गोटाबाया राजपक्षे ने सिंगापुर पहुंचने के बाद गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दिया।
श्रीलंका में आर्थिक सुधार के लिए भारत का समर्थन रहेगा जारी: भारतीय उच्चायुक्त
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए श्रीलंकाई संसद की बैठक से पहले, भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले (Indian High commissioner Gopal Baglay) ने शनिवार को संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धन (Speaker Mahinda Yapa Abeywardena) से मुलाकात की और कहा कि श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार के लिए भारत का समर्थन जारी रहेगा।
श्रीलंका का समर्थन करता रहेगा भारत
श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त ने ट्विटर पर कहा, ‘उच्चायुक्त ने आज सुबह माननीय अध्यक्ष से मुलाकात की। विशेष रूप से इस महत्वपूर्ण मोड़ पर लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचे को बनाए रखने में संसद की भूमिका की सराहना की। बताया कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करना जारी रखेगा’।
साजिथ प्रेमदासा लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव
इससे पहले शुक्रवार को श्रीलंका के मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) ने घोषणा की थी कि वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे। साजिथ प्रेमदासा ने ट्विटर पर लिखा, ‘मैं राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहा हूं। मतदाता 225 सांसदों तक सीमित है, जिसमें जीआर (गोटाबाया राजपक्षे) गठबंधन का वर्चस्व है। भले ही यह एक कठिन संघर्ष है, मुझे विश्वास है कि सच्चाई की जीत होगी’।
गोटाबाया राजपक्षे ने दिया इस्तीफा
बता दें, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद से इस्तीफा दे दिया है। संविधान के अनुसार, संसद अगले सप्ताह बैठक करेगी और एक नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए कदम उठाएगी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में होता है, जब श्रीलंका भोजन और ईंधन की कमी के साथ आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते राजपक्षे
इस बीच, श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया है जिसने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे को 28 जुलाई तक अदालत की अनुमति के बिना देश छोड़ने से रोक दिया है।