द ब्लाट न्यूज़ । अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का प्रभार स्मृति ईरानी को दिए जाने के फैसले पर सवाल उठाने को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के जवाहर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कोई व्यक्ति “छद्म-धर्मनिरपेक्षता एवं तुष्टीकरण की राजनीति” के बंधनों से अपने मन को मुक्त कर सकता है।
इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में कार्यकाल समाप्त होने के चलते मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद ईरानी को इस मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। छह जुलाई को, तृणमूल के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने एक ट्वीट में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा था, “पारसी से शादी करने वाली कट्टर हिंदू को मुसलमानों, ईसाइयों का प्रभार दिया गया। क्या यह भाजपा का धर्मनिरपेक्षता का ब्रांड है?”
सरकार पर निशाना साधते हुए रीजीजू ने ट्वीट के पीछे के तर्क पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, “मुसलमान और ईसाई? मुझे उम्मीद है कि कोई छद्म धर्मनिरपेक्षता और तुष्टीकरण की राजनीति के बंधनों से मन को मुक्त कर सकता है।” उन्होंने रेखांकित किया कि मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसियों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
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