कोच्ची: कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की रैली में भड़काऊ नारे लगाने के 31 आरोपितों की जमानत केरल उच्च न्यायालय ने मंजूर कर ली है। यह रैली इसी साल मई में अलाप्पुझा जिले में हुई थी। रैली के दौरान हिंदुओं और ईसाइयों के विरुद्ध भड़काऊ नारे लगे थे। यह रैली एक नाबालिग का वीडियो सामने आने के बाद बहुत विवादों में भी रहा था। इस वीडियो में नाबालिग लड़का, हिंदुओं की हत्या की धमकी दे रहा था।
इस मामले में अरेस्ट किए गए 33 आरोपितों में से 31 को उच्च न्यायालय ने 5 जुलाई 2022 को जमानत दे दी। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि, ‘आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, फिर भी वे सभी 30 दिनों से ज्यादा समय से जेल में हैं। आरोपितों से संबंधित जाँच पूरी हो गई है, इसलिए उन्हें और अधिक समय तक हिरासत में रखना सही नहीं होगा। इस मामले के दो आरोपित अब भी फरार हैं।’ जज ने कहा कि, ‘ऐसी परिस्थितियों में, मैं इन जमानत अर्जियों को मंजूर करने के पक्ष में हूँ।’ आरोपियों की तरफ से वकील केएस मधुसूदनन, सनी मैथ्यू और रंजीत बी मारार ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि वे सभी लोग निर्दोष हैं। उन्हें 24 मई से 4 जून के बीच अलग-अलग तारीखों में अरेस्ट किया गया है। उन्होंने दलील दी कि नारों का गलत मतलब निकाला जा रहा है। यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
वहीं, लोक अभियोजक केए नौशाद ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि आरोपित ने राज्य में व्याप्त सद्भाव को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यदि रैलियों के दौरान इस प्रकार के नारे लगाने की इजाजत दी जाती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके साथ ही, वकील नौशाद ने तर्क दिया कि जाँच अभी भी जारी है और दो आरोपितों को अरेस्ट किया जाना बाकी है। याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने से जाँच प्रभावित होगी।
क्या है पूरा मामला :-
बता दें कि अलाप्पुझा में 21 मई 2022 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) द्वारा आयोजित की गई ‘गणतंत्र बचाओ’ रैली के दौरान भड़काऊ नारे लगाए गए थे। इस रैली में एक नाबालिग बच्चे ने भी हिन्दुओं और ईसाइयों को धमकी दी थी। इसमें उसने कहा था कि, ‘चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। अगर आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारी जगह पर रह सकते हैं। यदि नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।’ उस समय इस घटना पर आपत्ति जाहिर करते हुए केरल उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि, ‘इस देश में क्या हो रहा है?’ जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा था कि यदि रैली के किसी सदस्य ने भड़काऊ नारे लगाए हैं, तो इसके लिए रैली का आयोजन करने वाले लोग भी जिम्मेदार थे।
वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने नाबालिग बच्चे का वीडियो सामने आने के बाद कहा था कि, ‘इस प्रकार की गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना किशोर न्याय अधिनियम के विरुद्ध है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह एक संज्ञेय अपराध है।’