द ब्लाट न्यूज़ । ‘लैंड-पूलिंग’ नीति के संबंध में जनता के सवालों का जवाब देने और शंकाओं को दूर करने के मकसद से दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने यहां तिगीपुर और मोहम्मदपुर-रमजानपुर गांवों में जनसभाएं कीं। एक अधिकारिक बयान में बुधवार को यह जानकारी दी गयी है। दरअसल, लैंड-पूलिंग नीति के तहत जिन लोगों के पास अपनी जमीन है या ऐसे लोगों का समूह डीडीए से मिलकर इस योजना के तहत पंजीकृत हो सकते हैं और उन जमीन पर फ्लैट्स बनाकर बेच सकते हैं।
बयान में कहा गया है कि लैंड पूलिंग नीति से जुड़े मुद्दों, प्रस्तावित संशोधनों, संघ के गठन के तौर-तरीकों, बाहरी विकास शुल्क (ईडीसी) मुद्दे, जमीन का 60:40 का अनुपात और जमीनी स्तर पर इस नीति के क्रियान्वयन पर शनिवार को हुई बैठकों में चर्चा की गयी। डीडीए आयुक्त (लैंड-पूलिंग) तारिक थॉमस और निदेशक (लैंड-पूलिंग) अमरीश कुमार विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मियों तथा दिल्ली देहात के सामाजिक संगठनों के साथ बैठकों में मौजूद रहे।
व्यापारियों और बिल्डरों ने भी बैठकों में भाग लिया और इस नीति के क्रियान्वयन के संबंध में अहम बिन्दुओं पर चर्चा की। बयान में कहा गया है, ‘‘लैंड पूलिंग के आयुक्त और निदेशक ने जमीन मालिकों, डेवलेपर्स और पक्षकारों की समस्याएं सुनी तथा संघ के गठन की प्रक्रिया और संभावित समय सीमाओं, एनएच-1 को बंध रोड से जोड़ने वाले पी-द्वितीय जोन के तहत आने वाले यूईआर-द्वितीय सेक्शन के निर्माण समेत सभी मुद्दों पर बात की।’’
बैठक के बाद डीडीए अधिकारियों ने उम्मीद जतायी कि लैंड पूलिंग नीति जमीनी स्तर पर जल्द से जल्द शुरू होगी और उन्होंने जमीन मालिकों, डेवलेपर्स, निवेशकों और पक्षकारों से सकारात्मक बातचीत होने की बात कही। डीडीए ने यह भी कहा कि पी-द्वितीय, एन और एल तीन मंडलों में पांच अन्य सेक्टरों पर विचार चल रहा है। बयान में कहा गया है, ‘‘इन सेक्टरों में पी-द्वितीय जोन में सेक्टर एक, सात और आठ, एन जोन में सेक्टर 11 और एल जोन में सेक्टर तीन शामिल हैं।’’
जमीन मालिकों को विकास प्रक्रिया में बराबर का भागीदार बनाने के लिए उनके साथ साझेदारी कर जमीन के विकास को बढ़ावा देने के मकसद से 2018 में दिल्ली भूमि नीति अधिसूचित की गयी थी। यह नीति मौजूदा समय में दिल्ली के शहरी विस्तारित इलाकों में लागू हैं, जिसके तहत जे, के-प्रथम, एल, एन, पी-प्रथम और पी-द्वितीय मंडलों के 104 गांव आते हैं। बयान के अनुसार, पूरे इलाके को 129 सेक्टरों में बांटा गया है और हर सेक्टर में औसतन 80, 000 से एक लाख लोगों को बसाना है। इस नीति के तहत कुल 7, 298 हेक्टेयर जमीन आती है।