सतारा के महुली मंदिरों के विकास के लिए बनायी जाएगी रिपोर्ट

 

द ब्लाट न्यूज़ । राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण (एनएमए) महाराष्ट्र में दक्षिण काशी क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध प्राचीन माहुली समूह क्षेत्र के मंदिरों के व्यापक विकास के लिए एक रिपोर्ट केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को सौंपेगा। सतारा के पास स्थित 11वीं और 12वीं सदी से संबंधित पांच मंदिर के इस प्रसिद्ध समूह को दक्षिण काशी के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर हेमाडपंथी वास्तुकला शैली की सुंदर कृति हैं। यह क्षेत्र प्रसिद्ध कोयना अभयारण्य क्षेत्र के नजदीक है
मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार एनएमए के अध्यक्ष तरुण विजय ने महान मराठा रानी-रानी ताराबाई भोंसले और रानी येशो बाई भोंसले की महुली (सतारा) में स्थित समाधियों की स्थिति जानने के लिए वहां का दौरा किया। वह माहुली के मंदिरों की स्थिति की भी जानकारी ली।
श्री विजय के साथ साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वरिष्ठ अधिकारी गजानन मंडावारे और प्रसिद्ध मराठा इतिहासकार श्री मोहन शेटे भी थे।
श्री तरुण विजय ने कहा कि महारानी ताराबाई का भारत की स्वतंत्रता और मुगलों को विफल करने में उनके साहसी शासन का अपार योगदान है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए उनकी स्मृति को संरक्षित किया जाना चाहिए। श्री तरुण विजय ने कहा कि वह इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करेंगे।
एनएमए की टीम ने रामटेक मंदिर समूह, अंबाला गेट, सिंदूरी बावली, मानसर बौद्ध स्तूप का भी दौरा किया।
विज्ञप्ति के अनुसार एनएमए केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी को एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में कृष्णा नदी के तट पर रामटेक और महुली समूह के मंदिरों को शामिल करने और महारानी ताराबाई और येशुबाई की समाधियों को उचित तरीके से विकसित करने में मदद करने की सिफारिश करेंगे।

 

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