पुरुष नसबंदी सरल एवम अधिक प्रभावी-सीएमओ…

द ब्लाट न्यूज़ । जिले का स्वास्थ्य विभाग परिवार नियोजन पर विभिन्न गतिविधियां कर रहा है| इसी क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरोन में 20 जून को नसबंदी शिविर लगेगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी और परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दलवीर सिंह ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से अब तक जनपद में लगभग 31 महिलाओं ने नसबंदी की सेवा ली। 1 पुरुष नसबंदी, 1545 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी, 1051 महिलाओं ने आईयूसीडी, 807 महिलाओं ने त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा और लगभग 3098 महिलाओं ने साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया को अपनाया है।

उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं जब बात परिवार नियोजन की आती है तो उस क्षेत्र में भी पीछे नहीं रहती हैं लेकिन पुरूष अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागते हैं, जबकि उनकी भी बराबर की भूमिका होती है इसलिए पुरुषों को भी परिवार नियोजन के प्रति गम्भीर होना पड़ेगा।

यूपीटीएसयू के परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया कि जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरोन में 20 जून, मोहमदावाद में 23, कमालगंज में 27 और 29 जूनको शमसाबाद सीएचसी पर फाउंडेशन ऑफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज ऑफ़ इंडिया संस्था के द्वारा महिला नसबंदी शिविर लगाए जायेंगे। इन शिविरों का आयोजन डॉ आशा अरोड़ा स्टाफ नर्स नीरज, काउंसलर निशा मिश्रा और अश्वनी दुवे की देखरेख में किया जा रहा है।

डॉ राममनोहर लोहिया महिला अस्पताल में प्रतिदिन परिवार नियोजन के साधन इच्छा अनुसार दिए जा रहे हैं। साथ ही कहा कि 21 जून खुशहाल परिवार दिवस के अवसर पर सिविल अस्पताल लिंजीगंज में पुरूष नसबंदी शिविर लगाकर पुरूष नसबंदी की जायेगी। इच्छुक व्यक्ति इस दिन आकर पुरूष नसबंदी की सेवा का लाभ उठा सकता है।

सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और एनएसवी स्पेशलिस्ट डॉ मो. आरिफ़ सिद्दीकी ने बताया कि पुरुष नसबंदी पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है। नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है। अधिकतर पुरुष दो तीन दिन बाद काम पर जा सकते हैं। नार्मल फिजिकल एक्टिविटी जैसे भागना, वजन उठाना, साईकिल चलाना आदि काम एक सप्ताह रुक कर शुरू किये जा सकते हैं। महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी सरल और अधिक प्रभावी है इसमें जटिलताएं कम होती हैं।

डॉ आरिफ का कहना है पुरुष नसबंदी कराते ही यह तुरंत प्रभावी नहीं हो जाती है। यह तरीका प्रभावी होने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाता है क्योंकि ट्यूब में स्पर्म रह जाते हैं जो वीर्य के साथ बाहर निकलते हैं। इस समय के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है।तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के टेस्ट के बाद पता किया जा सकता है कि सीमेन में स्पर्म तो नहीं है।

मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों में नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को प्रोत्साहन राशि के रुप में 3,000 रुपये और महिलाओं को 2,000 रूपये की राशि दी जाती है।

 

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