सस्ता नहीं रहा Crude Oil,जाने भारत को डिस्काउंट पर क्यों नहीं मिलेगा तेल, क्या है इसकी वजह

 अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। लेकिन इन प्रतिबंधो के बावजूद भारत, चीन जैसे एशियाई देशों से सस्ते कच्चे तेल की खूब डिमांड आ रही है। यही वजह है कि रूस ने भारतीय तेल कंपनियों को रियायती दरों पर देने से इनकार कर दिया है। रूस की रोसनेफ्ट कंपनी ने सस्ते कच्चे तेल के लिए दो भारतीय कंपनियों के साथ करार करने से मना कर दिया है। रोसनेफ्ट कंपनी का कहना है उसने कुछ अन्य देशो के साथ कच्चे तेल की सप्लाई का करार किया है।

नए प्रतिबंध की वजह से सस्ता नहीं रहा रूसी तेल 

बिट्रेन और अमेरिका के दबदबे वाले यूरोपीय यूनियन ने पिछले हफ्ते रूसी तेल ले जाने वाले जहाजों के लिए नए बीमा डील पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। और मौजूदा डील में 6 माह की छूट दी है। सूत्रों ने कहा कि शिपिंग बीमा कवरेज की कमी ने पिछले साल रोसनेफ्ट के साथ डील के बावजूद आईओसी की रूसी तेल की खरीद को प्रभावित किया है। यह डील आईओसी को रोसनेफ्ट से मुफ्त ऑन बोर्ड (एफओबी) आधार पर 2 मिलियन टन तेल खरीदने का ऑप्शन देता है।

बीमा और माल ढुलाई से बढ़ीं मुसीबतें 

बता दें कि 24 फरवरी से भारतीय रिफाइनर सस्ते में रूसी तेल खरीद रहे हैं। लेकिन अब इस परिदृ्श्य में बदलाव दिख रहा है। अब भारतीय कंपनियों के लिए सस्ता रूसी तेल उपलब्ध नहीं है। एक्सपर्ट की मानें, तो पहले कंपनियां अच्छी छूट दे रही थीं। लेकिन अब यह छूट उपलब्ध नहीं है। बीमा कंपनियों ने ऑफर कम कर दिए हैं और छूट पहले की तरह अच्छी नहीं है, क्योंकि बीमा और माल ढुलाई की दरें बढ़ गई हैं।

रूसी चाहता है राजस्व में बढ़ोतरी 

वही दूसरी तरह रूस अपने तेल के जरिए देश के राजस्व में बढ़ोतरी करना चाहता है, जिससे रूस के पास यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में पैसों की कमी का सामना ना करना पड़े। रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के बढ़ते दबाव के बावजूद मास्को के राजस्व को प्रभावित करने के लिए अपने तेल का निर्यात जारी रखने में कामयाब रहा है। वही साथ ही रोसनेफ्ट के साथ नए टर्म सप्लाई सौदों की कमी से भारतीय रिफाइनर महंगे में तेल खरीद रहे हैं।

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