फिर प्याज के दाम में आग लग गई। एक ही दिन में महेवा मंडी में प्याज की कीमतों में पांच रुपये की वृद्धि हुई तो फुटकर में प्याज 60 रुपये किलो तक पहुंच गई।
महेवा मंडी में शुक्रवार को प्याज 48 रुपये किलो तक बिकी। बंगाल की प्याज सबसे सस्ती 36 रुपये तो नासिक की प्याज 48 रुपये किलो तक बिकी। निर्यात के कारण कीमतें पहले ही कम होने का नाम नहीं ले रही थीं। अब महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण कीमतों में और इजाफा हुआ है। बंगाल, राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों में प्याज तैयार न होने और नासिक में बारिश के कारण यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि प्याज की कीमतें और बढ़ सकती हैं। महेवा मंडी में 6 फरवरी को नासिक के सुपर क्लास प्याज की कीमत अधिकतम 34 रुपये किलो थी। 8 फरवरी को यह बढ़कर 37 रुपये तक पहुंच गई। 17 फरवरी को अधिकतम 43 रुपये थी। शुक्रवार को नासिक में प्याज की कीमत 42-44 रुपये किलो पहुंची तो गोरखपुर मंडी में भी प्याज की कीमतें आढ़तियों ने पांच रुपये तक बढ़ा दी।
कहां के प्याज की कितनी है कीमत
महेवा मंडी में शुक्रवार को नासिक के सुपर प्याज की कीमत 45 से 48 रुपये के बीच रही। एमपी के शाजापुर के प्याज की कीमत 42 से 44 रुपये, राजस्थान के भावनगर के प्याज की कीमत 40 से 42 रुपये और बंगाल व गुजरात के प्याज की कीमत 36 से 38 रुपये रही।
अगले महीने से कम होंगी कीमतें
नासिक व मध्य प्रदेश में प्याज खेतों से निकलने लगी है। इस बार प्याज का निर्यात भी जमकर हो रहा है। इसके अलावा नासिक गुरुवार को ओले पड़ने के कारण कीमतों में उछाल आया है। ओले पड़ने के कारण खेत सूखने में 10-15 दिन लग जाते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि नासिक की प्याज सस्ती दरों में मिलने में मार्च महीने का इंतजार करना पड़ सकता है। राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल की प्याज अभी कच्ची है। उसे भी मौसम अच्छा रहा तो बाजार लायक होने में 10-15 दिनों का वक्त लग सकता है। जब चारों तरफ से आवक होने लगेगी तब प्याज की कीमतों में तेजी से गिरावट आएगी।
फुटकर में 50 से 60 रुपये तक पहुंची कीमत
प्याज की कीमतों मे आई तेजी का असर फुटकर में भी शुक्रवार को साफ दिखा। एक दिन पहले 40-45 रुपये किलो तक बिक रही प्याज 50 से 60 रुपये तक पहुंच गई। दोयम दर्जे के प्याज की कीमत 50 रुपये तो सुपर प्याज की कीमत 60 रुपये थी। यानी कि फुटकर में एक दिन में ही प्याज की कीमत में 10 से 15 रुपये तक की तेजी आ गई।
आलू के किसानों को उठाना पड़ रहा घाटा
प्याज जहां आसमान छू रही है, वहीं आलू के किसानों की पूंजी भी नहीं निकल पा रही। मंडी में लाल आलू 8-9 रुपये किलो बिक रहा है जबकि सफेद आलू 6-7 रुपये किलो। वहीं फुटकर में लाल आलू 16 से 20 रुपये और सफेद आलू 15 रुपये किलो बिक रहा है। यानी कि मंडी से बाहर पहुंचते ही आलू का मूल्य दोगुना हो जा रहा है जबकि खेती करने से लेकर उपज तैयार करने वाले किसान को चार-पांच रुपये किलो ही मिल पा रहा है।