द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य उपभोक्ता आयोग के एक निर्णय को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। आयोग ने एक वाणिज्यिक संपत्ति समय पर नहीं सौंपे जाने एक व्यक्ति को 20 लाख रुपये से ज्यादा की रकम वापस करने से इनकार करने पर एक रियल एस्टेट के निदेशक को एक साल की कैद की सजा सुनायी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग (एससीआरडीसी) ने तय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की और याचिकाकर्ता निदेशक को उसके अपराध के बारे में बताया गया। न्यायालय ने कहा कि आयोग ने उसकी याचिका रिकॉर्ड की तथा सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद बाद सजा सुनायी। अदालत ने कहा, “इसलिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं हुआ जिसके आधार पर याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका दायर करने का दावा करने का हक जता सके।”
न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि याचिका में दम नहीं है और यह विचारयोग्य भी नहीं है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता को 30 हजार रुपये देने का फैसला सुनाया जो शिकायतकर्ता को दिये जाएंगे जिसके पैसे नहीं लौटाये गये थे। मामला 2015 का है जब एक व्यक्ति ने एससीआरडीसी में हर्षा बिल्डकॉम प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशक हरीश कथूरिया के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि 2012 में एक इमारत में वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद के लिए कंपनी को 18.5 लाख रुपये दिए गए लेकिन छह महीने बाद भी कंपनी ने खरीदार को संपत्ति पर कब्जा नहीं दिया।