द ब्लाट न्यूज़ । पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने शुक्रवार को कहा कि कैबिनेट के सदस्यों को देश के संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत कोई संवैधानिक छूट नहीं है और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही कानूनी प्रावधानों के अनुसार बढ़नी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने ‘सरकार में बैठे लोगों’ द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली को कमतर करने की कथित आशंका पर पांच सदस्यीय पीठ की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं। अदालत ने इस संबंध में स्वत: संज्ञान लिया था।
पीठ ने एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) में से “सौ से अधिक नामों को हटाने” के कैबिनेट के फैसले पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। ऐसे लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और करों में चूक आदि के मामले दर्ज है।
ईसीएल पाकिस्तान सरकार द्वारा सीमा नियंत्रण की एक प्रणाली है और इस सूची में शामिल लोगों के देश से बाहर जाने पर रोक है।
प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत कैबिनेट सदस्यों को कोई छूट नहीं मिलती है और उन पर आपराधिक मामलों में मुकदमा चलाया जा सकता है।
पीठ ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अभियोजक सिकंदर जुल्करनैन को हटाने पर भी असंतोष जताया। जुल्करनैन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच कर रहे थे।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “ऐसी धारणा है कि चल रहे मामले को रोकने के लिए अभियोजक को पद से हटाया गया है।’’
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