अफसरों को लोकायुक्त की जांच के दायरे में लाने की मांग खारिज…

द ब्लाट न्यूज़ । उच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार को कानून बनाने या इसमें संशोधन करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने दिल्ली सरकार के ग्रुप ए, बी, सी और डी के अधिकारियों को लोकायुक्त की जांच के दायरे में लाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अदालत विधायिका को कानून बनाने या इसमें किसी विशेष तरीके से संशोधन करने का आदेश नहीं दे सकती है। पीठ ने कहा कि यदि कोई कानून असंवैधानिक है तो हम उस कानून को रद्द कर सकते हैं, कानून की व्याख्या कर सकते हैं लेकिन सरकार को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते। गैर सरकारी संगठन हेल्प इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने यह टिप्पणी की है।

याचिका में दिल्ली सरकार के ग्रुप ए, बी, सी और डी के अधिकारियों को लोकायुक्त और उपलोकायुक्त अधिनियम 1995 के तहत लोकायुक्त की जांच के दायरे में लाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि संसद द्वारा पारित लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 14 के तहत केंद्र सरकार के ग्रुप ए, बी, सी और डी के अधिकारियों को इसके जांच के दायरे में लाया गया है। याचिका में कहा है कि इसके विपरीत दिल्ली सरकार के अधिकारी लोकायुक्त और उपलोकायुक्त अधिनियम 1995 के तहत लोकायुक्त की जांच के दायरे से बाहर हैं।

इससे पहले, दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने पीठ को बताया कि विधानसभा ने पहले ही 1995 लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम बनाया है, जिसके तहत लोकायुक्त की नियुक्ति की जाती है। उन्होंने कहा कि संसद में 2013 में पारित अधिनियम में यह परिकल्पना नहीं की गई है कि दिल्ली में लोकायुक्त को जीएनसीटीडी के ग्रुप ए, बी, सी और डी अधिकारियों के संबंध में समान शक्तियां निहित होनी चाहिएं। इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।

 

Check Also

Bihar Election 2025: लालू यादव ने बांटे RJD टिकट, तेजस्वी जताते हैं नाराजगी

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा से पहले ही अपने …