याचिका में भाषा संयमित होनी चाहिए : उच्च न्यायालय

द ब्लाट न्यूज़ । उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत में दाखिल याचिका में भाषा संयमित और गरिमापूर्ण होनी चाहिए। किसी भी वादी, खासकर वकील के माध्यम से दाखिल की जाने वाली याचिका में अदालतों व न्यायिक मंचों के लिए ‘हठ जैसे शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों के आधार पर आदेश पारित नहीं करते हैं, बल्कि आदेश कानून में सही स्थिति के अनुरूप होते हैं जैसा कि वे इसे समझते हैं। दरअसल, जस्टिस प्रसाद की अदालत रोहिणी कोर्ट के 16 मार्च, 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि निचली अदालत ने याचिकाकर्ताओं के बचाव को ‘हठपूर्वक दरकिनार कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि अन्य बातों के अलावा, ये याचिकाएं उस अदालत को हठ का श्रेय देती हैं जिसने संबंधित आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि याचिका में हठ शब्द का इस्तेमाल क्यों किया गया। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने खेद जताते हुए कहा कि यह गलती से हो सकता है। इसके साथ ही वकील ने मौजूदा याचिका वापस लेने और नये सिरे से याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी। न्यायालय ने याचिका को वापस मानते हुए खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को नये सिरे से समुचित याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी।

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