नाट्य वृक्ष द्वारा दो साल बाद दिल्ली में प्रख्यात नृत्यांगना गीत चन्द्रन की एकल नृत्य प्रस्तुति का आयोजन
द ब्लाट न्यूज़ । प्रख्यात नृत्यांगना (पद्मश्री) गीता चन्द्रन ने महामारी के दौरान अपने अनुभवों के आधार पर आंतरिक नृत्या यात्रा की अवधारणा रखी है। दो साल के दौरान के उनके नये कार्यों को कला-संगीत प्रेमियों के समक्ष लाने के लिए नाट्य वृक्ष द्वारा दिल्ली स्थित इंडिया हैबीटेट सेंटर के स्टाइन सभागार में ‘इन सर्च ऑफ इन्फिनिटी’ यानि अनंत की खोज, शीर्षक से एक नृत्या संध्या का आयोजन किया गया। इस नृत्य संध्या के माध्यम से (पद्मश्री) गीता चन्द्रन ने लगभग दो वर्ष बाद दिल्लीवासियों के समक्ष मंच पर अपनी पहली एकल भरतनाट्यम प्रस्तुति दी। मंच पर गीता चन्द्रन को उनके साथी कलाकार शरण्या चंद्रन, के. वेंकटेश, मनोहर बालाचन्द्राणे, वरुण राजशेखर, सुजीत नायक, एवं वीएसके अन्नादोराय ने संगत दी।
‘इन सर्च ऑफ इन्फिनिटी’ शीर्षक से आयोजित इस संध्या में अपने नृत्य की शुरूआत गीता चंद्रन ने हिंदी कवि जय शंकर प्रसाद-जी की ‘बीती विभावरी जाग री’ से की। जिसे उन्होंने उस काले महामारी के रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया और बताया कि अत्यधिक सावधानी के साथ एक बेहतर कल को गले लगाने के लिए अपने दूरी बनाने की आवश्यकता है। गीता चन्द्रन की प्रस्तुति में महामारी के दौरान उनके अनुभवों को नृत्य के माध्यम से देखने का यह बेहतरीन अवसर था, उन्होंने विविधता के साथ अपने अनुभव को मंच पर सशक्तता के साथ उतारा। उनकी एक प्रस्तुति में भगवान कृष्ण द्वारा मानवता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाने का प्रसंग, नृत्य में विभिन्न नव-रस का संदर्भ बन जाता है। यहां नर्तकी का कहना है कि महामारी ने उसे दुख, आश्चर्य, घृणा और प्रेम की भावनाओं को समझने का गहरा अहसास कराया है। अगली प्रस्तुति में गीता चन्द्रन, अम्बा नीलांबरी में देवी को विराजमान करती है, जो वाग्येकरा श्री मुथुस्वामी दीक्षितर की एक भव्य कर्नाटक संगीत रचना है।
अलग-अलग प्रस्तुतियों में उनकी प्रस्तुति में बेहद मार्मिक और दिल छूती रही, जहां वह अपनी मातृ भावनाओं को कैद करते हुए, एक सुंदर लोरी प्रस्तुत करती है जिसमें माँ यशोदा नन्हे कृष्ण को सुलाते हुए राम की कहानी सुनाती हैं। इसके माध्यम से महामारी के दौरान गीता चन्द्रन ने अपने पोते के बड़े होने पर घर में आती खुशियों को भावपूर्ण रस में पिरोने का प्रयास किया है।
इन सर्च ऑफ इन्फिनिटी के विषय में गीता चन्द्रन ने बताया, कि महामारी ने सभी प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को गहराई से प्रभावित किया। चूंकि हमारी आय पूरी तरह से प्रदर्शन पर निर्भर थी, इसलिए लगभग ढाई वर्षों के लिए प्रदर्शन के अवसरों ना होने से यह समुदाय ठप हो गया और उन्हें तेजी से पाताल की ओर धकेल दिया, मैं भी इससे अछूती नहीं थी। एक संक्षिप्त अंतराल के बाद, मैंने पुनर्मूल्यांकन करना शुरू किया, जहां अधूरे विचारों के ढेर थे, उन्हें साकार करना था; और मेरे पास उन कार्यों को निपटाने के लिए निर्बाध समय था। इन्हीं विचारों व अनुभवों को मैंने अपने नृत्य के माध्यम से व्यक्त करने का सोचा और इन सर्च ऑफ इन्फिनिटी की अवधारणा बनी।
महामारी के दौरान मैंने काफी कुछ सीखा। मैंने महसूस किया कि मेरी कला परिपूर्ण है, मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा आंतरिक परिदृश्य इतना मजबूत था कि मैं व्यस्त, व्यस्त और खुश रह सकती थी। मैंने वास्तव में अनंत काल का स्वाद चखा था। उन 30 महीनों के दौरान मैंने जिन रचनाओं पर काम किया है यहां उन्हें पहली बार लाइव प्रस्तुत किया है।
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