द ब्लाट न्यूज़। दिल्ली विश्वविद्यालय में कुलपति कार्यालय के बाहर विज्ञान विषयों के शोधार्थियों ने तेज धूप में प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि अब शोध करना उनके लिए मंहगा हो गया है क्योंकि विश्वविद्यालय का युनिवर्सिटी साइंस इंस्टुमेंटेशन सेंटर अब उनके सैंपल जांच के लिए शुल्क मांग रहा है। हर मशीन के सैंपल जांच की दर अलग अलग है। पहले यह पैसा उनसे नॉर्थ कैंपस में नहीं लिया जाता था। छात्रों ने इस बाबत एक ज्ञापन भी डीयू को सौंपा लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के एक छात्र का कहना है कि डीयू निजीकरण की तरफ बढ़ता जा रहा है। सांइस में हमें शोध के लिए सैंपल जांच करनी होती है। पहले इसका कोई शुल्क डीयू का यह सेंटर हमसे नहीं लेता था, लेकिन अब पैसा लिया जा रहा है। यह शुल्क एक बार 20 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है। 20 रुपये की कीमत पहली बार कम लागत लगती है। लेकिन, एक सैंपल का परिणाम जब तक सटीक नहीं आता है बार-बार हमें उसे जांच के लिए देना होता है और इस तरह यह राशि काफी बढ़ जाती है। हमारे लिए पढ़ाई शोध और महंगा होता जा रहा है। 1 मई से इसे बढ़ाया गया है और हमें दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हमने इस बाबत कुलपति से भी बातचीत के लिए समय मांगा लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई। यह हम लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ है।
एक अन्य छात्रा का कहना है कि डीयू जो स्कॉलरशिप देता है वह मामूली है। बाकी जो स्कॉलरशिप मिलती है वह समय से नहीं आती है ऐसे में जो पैसे रहते हैं उसमें मकान का किराया खाना, कपड़ा आदि होता है। यह हमारे लिए नया खर्च है। भले ही इसे कम कहा जा रहा हो लेकिन यह ज्यादा है।
डीन ने मुलाकात की : डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणि व केमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक प्रसाद प्रदर्शनकारी छात्रों से मिले और उनसे बातचीत की। डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणि ने बताया कि पहले मशीनें खराब थीं। इसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की मदद से बनाया गया है और अब छात्रों से मामूली राशि ली जा रही है। छात्रों पर इसे आर्थिक बोझ की तरह नहीं देखा जा सकता क्योंकि उनको जेआरएफ व अन्य स्कॉलरशिप मिलती है। जो नॉन नेट हैं उनको भी डीयू स्कॉलरशिप देता है।
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