चारधाम यात्रा में यमुनोत्री धाम में सबसे अधिक अव्यवस्था सामने आ रही है। प्रशासन इसमें कोई सुधार नहीं कर पा रहा है।
केदारनाथ और हेमकुंड की यात्रा से भी प्रशासन ने सीख नहीं ली है, जिस कारण यमुनोत्री धाम में घोड़ा-खच्चर, कंडी व डंडी (पालकी) संचालक बेलगाम हैं, जो यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रहा है।
साथ ही यात्रियों को इन संचालकों के गलत व्यवहार को भी झेलना पड़ा है। घोड़ा, कंडी, पालकी संचालक निर्धारित किराये से चार से पांच गुना अधिक किराया वसूल रहे हैं।
यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए जानकी चट्टी से यमुनोत्री तक साढ़े पांच किलोमीटर का पैदल मार्ग है।
यहां वृद्ध, दिव्यांग व पैदल चलने में असमर्थ यात्री घोड़ा, खच्चर, कंडी व पालकी में यमुनोत्री धाम जाते हैं। यमुनोत्री धाम में घोड़ा-खच्चर, कंडी पालकी की व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है।
इसके संचालन की जिम्मेदारी जिला पंचायत उत्तरकाशी के पास है। जिला पंचायत भी संचालन का जिम्मा ठेकेदार को दे देता है। ठेकेदार केवल जिला पंचायत के निर्धारित टैक्स की 120 रुपये प्रति घोड़ा, कंडी, पालकी की पर्ची काटता है।
इसके बाद घोड़ा, कंडी, पालकी संचालक यात्रियों से निर्धारित किराये से चार से पांच गुना अधिक किराया वसूल रहे हैं। जिला पंचायत ने इस पर नियंत्रण के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनायी है।
गुरुवार को यमुनोत्री धाम में यात्रियों से अधिक किराया वसूलने और सही व्यवहार ना करने के मामले में जिला पंचायत उत्तरकाशी ने 11 घोड़ा, कंडी, पालकी संचालकों के चालान काटे हैं।
प्रशासन की ओर से तय किया गया यमुनोत्री धाम आने-जाने का किराया
- घोड़ा-खच्चर-1450
- कंडी -1940
- पालकी -4200
केदारनाथ धाम में यह है यात्रा व्यवस्था
केदारनाथ धाम में घोड़ा, कंडी, पालकी की व्यवस्था प्रशासन संचालित करता है। इसके संचालन की जिम्मेदारी प्रशासन किसी पंजीकृत एजेंसी को देता है। 16 किलोमीटर जाने और 16 किलोमीटर आने के लिए घोड़ा-खच्चर का किराया 3800 रुपये है।
इसमें भी यदि कोई यात्री केवल केदारनाथ जाने के लिए बुकिंग करेगा तो उसे 2500 ही देने पड़ेंगे, इसी प्रकार कोई यात्री केवल वापस लौटने के लिए बुकिंग कराएगा तो उसे 1300 रुपये देने होते हैं।
यह किराया प्रशासन की ओर से निर्धारित की गई एजेंसी लेती है और यात्री को एक टोकन भी दे देती है। जब घोड़ा-खच्चर संचालक यात्री को सकुशल यात्रा करवा कर वापस लाते हैं तो यात्री टोकन को घोड़ा-खच्चर संचालक या एजेंसी के पास जमा करते हैं। इसके बाद एजेंसी घोड़ा- खच्चर संचालक को भुगतान करती है।
हेमकुंड साहिब यह होती है व्यवस्था हेमकुंड यात्रा मार्ग पर 19 किमी क्षेत्र में घोड़े व खच्चरों का संचालन होता है। हेमकुंड मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों के संचालन के लिए नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क व प्रशासन ने स्थानीय हक हकूकधारी ग्रामीणों के साथ मिलकर ईको विकास समिति बनाई गठित की है।
तय किराये पर रोटेशन के अनुसार बुकिंग कर पर्ची दी जाती है। बुकिंग पर ईको विकास समिति का तय शुल्क ही भी शामिल रहता है। घोड़ा-खच्चर संचालक यात्रियों से अधिक शुल्क ना लें इसके लिए चेकपोस्ट भी बनाए गए हैं।