बलिया । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने रविवार को दावा किया किउत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ सशक्त मोर्चा बनाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व मंत्री राजभर ने बातचीत में कहा, “मेरा प्रयास है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाने के लिए ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल व उद्धव ठाकरे एक मंच पर आ जाएं। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में उनकी पिछले दिनों ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता संजय राउत व बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महासचिव से बातचीत हुई है।
राजभर के मुताबिक, राउत शीघ्र ही लखनऊ आ रहे हैं जहां उनसे इस मामले पर निर्णायक बातचीत होगी। राजभर ने यह भी कहा कि उनकी शनिवार शाम आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व सांसद संजय सिंह से मुलाकात हुई है। राजभर ने दावा किया है कि ‘आप’ नेता सिंह का रुख सकारात्मक रहा है तथा वह भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं। उन्होंने बताया कि मोर्चा में शामिल होने पर अंतिम निर्णय ‘आप’ प्रमुखकेजरीवाल करेंगे। राजभर ने कहा कि इसके लिए वह अगले एक सप्ताह के भीतर केजरीवाल के साथ दिल्ली में बैठक करेंगे और इस बैठक में सिंह भी मौजूद रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल उनके मोर्चा में असदुद्दीन ओवैसी के दल के शामिल होने के बाद भी आने को तैयार होंगे तो उन्होंने कहा कि इस समय आवश्यकता भाजपा को रोकने की है।
सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि जब भाजपा पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती से हाथ मिला सकती हैं तो फिर भाजपा को रोकने के लिए ओवैसी व केजरीवाल भी एक मंच पर आ सकते हैं। हालांकि इस संदर्भ में ‘आप’ की ओर से कोई बयान नहीं आया और न ही किसी नेता ने राजभर के दावे की पुष्टि की है। पहले भी राजभर ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होने का दावा किया था, लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के वरिष्ठ नेता दीपक मिश्रा ने इसका खंडन किया था। राजभर ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष ओवैसी के साथ मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है और इस मोर्चे में कई छोटे दलों को शामिल करने की कोशिशें की जा रही हैं।