लखनऊ । उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की ओर से भाषा के क्षेत्र में साहित्यिक विनिमय, सौहार्द्र, समन्वय स्थापित करने के लिए प्रदेश के 15 उत्कृष्ट रचनाधर्मी विद्वानों को सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान 2020 से प्रदेश के पांच और शब्द शिल्पी सम्मान 2020 से दस विद्वानों को ऑनलाइन कार्यक्रम में विभूषित किया।
संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजनारायण शुक्ल ने विद्वानों को सम्मानित कर शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में सभी तकनीकी विषयों के पाठ्यक्रम भी हिन्दी में प्रकाशित होने का एक सुर में समर्थन किया गया। डॉ. राजनारायण शुक्ल ने कहा कि साहित्यकार राजनीतिक रूप से प्रेरित न होकर अपनी कलम के प्रति वफादार रहें और आम जनता का मार्गदर्शन करते रहें। संस्थान के निदेशक हरिबख्श सिंह ने आभार जताया।
इनका हुआ सम्मान
उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान से प्रदेश के पांच विद्वानों को सम्मानित किया गया। जिसमें लखनऊ के पंकज प्रसून, आगरा के डॉ. मुरारी लाल अग्रवाल, रायबरेली के डॉ. उन्नत बहादुर सिंह, संत कबीर नगर के डॉ. अमित भारती, कानपुर के डॉ. अमित मल्ल शामिल थे। वहीं शब्द शिल्पी सम्मान से गाजियाबाद से डॉ. वीणा शर्मा, मुरादाबाद से डॉ. मुकेश चंद्र गुप्ता, एटा से डॉ. सतीश चतुर्वेदी, गाजियाबाद से डॉ. गीता पांडेय, वाराणसी से डॉ. सत्य प्रकाश पाल, प्रयागराज से डॉ. गीता टंडन, डॉ. बृजेश कुमार पांडेय, लखनऊ यूनिवर्सिटी से डॉ. अलका पांडेय व डॉ. गोविंद स्वरूप गुप्त, रायबरेली के डॉ. एचएल विश्वकर्मा शामिल हैं।
शहर के पंकज, अलका और डा. गोविंद हुए सम्मानित
शहर के युवा व्यंग्यकार व कवि पंकज प्रसून को उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान 2020 से विभूषित किया गया। उन्हें सम्मानराशि, प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उत्तर प्रदेश एवं भाषा के क्षेत्र में साहित्यिक- विनिमय, सौहार्द, समृद्धि और समन्वय को मजबूत करने के लिए दिया गया। संस्थान के अध्यक्ष डॉ राज नारायण शुक्ल ने कहा कि पंकज प्रसून ने विज्ञान के गूढ़ सिद्धांतों को हास्य व्यंग्य और कविता से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। वही लखनऊ विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की डा. अलका पांडे की छह किताबें प्रकाशित हुई हैं। उनकी भी लेखनी कमाल की है। इसी तरह डा. गोविंद गुप्ता स्वरूप ने साहित्य में अतुलनीय योगदान दिया है। उनका लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षण काल भी सराहनीय रहा।