द ब्लाट न्यूज़ । धर्म संसद पर रोक, राज्य में शांति और सौहार्द स्थापना के लिए मशहूर लेखिका सहित कई दिग्गजों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर इस पर कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने छह मई के बाद धर्म संसद जैसे कार्यक्रम की घोषणा पर चिंता जताते हुए रोक लगाने की मांग की है।
मशहूर लेखिका नयनतारा सहगल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एसके दास समेत विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों ने उत्तराखंड में नफरती बयानबाजी और सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य में शांति और और सौहार्द बनाने के लिए अधिकारियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित करने का अनुरोध किया है।
पत्र में कहा गया है कि उत्तराखंड शांतिपूर्ण राज्य के तौर पर जाना जाता है। सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए कुछ अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों की त्वरित कार्रवाई से सद्भाव और लोकतंत्र के लिए स्थानीय आबादी की प्रतिबद्धता भी प्रकट होती है। लेकिन उत्तराखंड में नफरत और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश बेहद चिंताजनक है। इसलिए निर्दोष लोगों के जीवन की रक्षा, राज्य की संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रभावी कार्रवाई होनी लाजिमी है। पत्र में कथित आयोजकों द्वारा छह मई के बाद धर्म संसद जैसे आयोजन के एलान पर चिंता जताई गई है और इस बारे में 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किए जाने का जिक्र किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि हिंसा की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन के सक्रिय कार्रवाई न करने पर न्यायालय गंभीर आशंका जाहिर कर चुका है। पत्र में धर्म संसद के मुख्य आयोजक यती नरसिंहानंद का भी जिक्र किया गया। कहा गया कि चार आईपीएस अधिकारी (जिनमें दो सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक हैं) जनवरी में पत्र लिख चुके थे कि उत्तराखंड में धर्म संसद जैसे आयोजन होंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सांप्रदायिक महापंचायत पर रोक लगी। उत्तराखंड में नफरत और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश बेहद चिंताजनक है। जिस पर मशहूर लेखिका ने मामले को गंभीरता से लेने के अनुरोध किया। हाल ही में हरिद्वार में हुई हिंसा का भी पत्र में जिक्र है और कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सांप्रदायिक महापंचायत पर रोक लगी।
ऐसे मामलों में जमानत न देने का अनुरोध
पत्र में मुख्यमंत्री से राज्य में आगे ऐसे किसी भी आयोजन पर तत्काल रोक लगाने, ऐसे मामलों में जमानत न देने और उसे रद्द करने, इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों को तत्काल गिरफ्तार करने, ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए एक जिम्मेदार नोडल अधिकारी तैनात करने का अनुरोध भी किया गया।
इन्होंने लिखा पत्र
लेखिका नयनतारा सहगल, पूर्व मुख्य सचिव एसके दास के साथ पूर्व सचिव विभा पुरी दास, कुमाऊं विवि के पूर्व कुलपति बीके जोशी, उप नियंत्रक एवं महालेखाकर (सेनि.) निरंजन पंत, डीआरडीओ के विज्ञानी (सेनि.) पीएस कक्कड़, सर्व सेवा संघ की बीजू नेगी, आरटीआई क्लब उत्तराखंड के अध्यक्ष बीपी मैठाणी, सिविल इंजीनियर सीवी लोकगड़ीवार, पर्यावरणविद फ्लोरेंस पांधी, लेखिका इंदिरा चंद, शिक्षाविद् ज्योत्सना बराड़, ममता गोविल और वीरेंद्र पैन्यूली, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, पूर्व शिक्षा निदेशक एनएन पांडेय, पत्रकार रंजोना बैनर्जी, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा, रिटार्यड बैंकर रमेश चंद, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, आईजी पुलिस (सेनि.) एसआर दारापुरी, राजीव गांधी इंस्टीटयूट ऑफ कांटेम्पररी स्टडीज के निदेशक विजय महाजन, आईपीएस (सेनि.) विजय शंकर सिंह ने पत्र लिखा है।