3 मई, 2022 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स (आरएसएफ) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वां संस्करण प्रकाशित किया गया। इस इंडेक्स में दक्षिण एशियाई मुल्कों की स्थिति बेहतर नहीं है। हालांकि, भूटान और नेपाल ने अपनी स्थिति में सुधार किया है। पाकिस्तान और तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान की स्थिति काफी दयनीय है। इस इंडेक्स के जारी होने के बाद पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय जगत में काफी किरकिरी हो रही है। इस रिपोर्ट को लेकर पाकिस्तान में सियासत गरम है। सत्ता पक्ष इसके लिए पूर्व की इमरान खान सरकार को दोषी ठहरा रहा है। रिपोर्ट जारी होने के बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान को निशाना बनाया है। आइए जानते हैं कि प्रेस की आजादी के मामले में दक्षिण एशियाई मुल्कों का क्या हाल है? दक्षिण एशिया के कौन से दो मुल्कों ने इस दिशा में बेहतरीन प्रदर्शन किया है? तालिबान के हुकूमत वाले अफगानिस्तान का क्या हाल है।
पाकिस्तान में 12 अंकों की गिरावट
1- वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में बीते एक वर्ष में पाकिस्तान में 12 अंकों की गिरावट आई है। खास बात यह है कि इस सूची में वह तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान से भी नीचे है। इतना ही नहीं वह पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल से भी नीचे है। इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान की जमकर खिंचाई की है। अमेरिका ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस तरह के प्रतिबंध देश की छवि और विकास की उसकी क्षमता को कमतर करते हैं। पाकिस्तान विश्व में उन देशों की सूची में शामिल है, जिन्हें पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश माना जाता है। पिछले वर्ष कई पत्रकारों की अपराध और भ्रष्टाचार करने और सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना करने के लिए हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा उन्हें अगवा किया गया और प्रताड़ित किया गया।
2- इंडेक्स के मुताबिक इस सूचकांक में बीते एक वर्ष में पाकिस्तान में 12 अंकों की गिरावट आई है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जीवंत एवं स्वतंत्र प्रेस और जागरूक नागरिक पाकिस्तान सहित किसी भी देश और उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने चेताया कि स्वतंत्र मीडिया पर अंकुश लगाने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होती है। इसको लेकर पाकिस्तान में सियासत तेज हो गई है। पाकिस्तान में मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि हमारी सरकार प्रेस एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
3- उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती इमरान सरकार के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता बाधित हुई है। प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पाकिस्तान में 12 अंकों की गिरावट के लिए वह दोषी हैं। उन्होंने कहा कि इससे इससे दुनिया में हमारे लोकतंत्र की गलत छवि बनी है। पाकिस्तान के नेताओं ने कहा कि इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान मीडिया डेवलपमेंट अथारिटी के रूप में प्रिवेंशन आफ इलेक्ट्रानिक क्राइम एक्ट में संशोधन कर इन कठोर नियमों को लागू किया, जिससे मीडिया पर मार्शल कानून लागू हो सकता था। राजनीतिक दलों ने इमरान सरकार के कार्यकाल को मीडिया के लिए भयावह बताया है।
इंडेक्स में नेपाल और भूटान की स्थिति बेहतर
1- इस इंडेक्स में दक्षिण एशिया के दो मुल्कों को छोड़ दिया जाए तो अन्य देशों ने खराब प्रदर्शन किया है। अगर दक्षिण एशियाई मुल्कों की बात करें तो भुटान और नेपाल की स्थिति पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर हुई है। नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 30 अंकों की बढ़त के साथ 76वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2021 में भुटान 65वें रैंक पर था, जबकि 2022 में वह 33वे रैंक पर है। इसी तरह वर्ष 2021 में नेपाल 106वें स्थान पर था, जबकि 2022 के इंडेक्स में वह 76वें रैंक पर पहुंच गया। दक्षिण एशियाई देशों में दोनों देशों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में काफी प्रगति की है।
2- इंडेक्स में श्रीलंका और भारत और अफगानिस्तान में गिरावट देखी गई है। वर्ष 2021 में श्रीलंका इस सूची में 127वें रैंक पर था। वर्ष 2022 में वह 146वें पायदान पर पहुंच गया है। हाल में आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में राजनीति अस्थिरता का दौर उत्पन्न हो गया है। इसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। भारत भी पिछले वर्ष के मुकाबले आठ पायदान नीचे पहुंच गया है। वर्ष 2021 में वह 142वें स्थान पर था, जबकि 2022 में वह 150वें रैंक पर है। तालिबान हुकूमत वाले अफगानिस्तान की रैंकिंग में बड़ा बदलाव देखा गया है। वर्ष 2021 में वह 122वें रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में 156 रैंक पर आ गया। इसी तरह से वर्ष 2021 में पाकिस्तान 145 रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में वह 157 रैंक पर आ गया। बांग्लोदश 152 रैंक से 162 पायदान पर चला गया। म्यांमार 176वें स्थान पर है।
3- चीन ने पिछले वर्ष के मुकाबले थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। उसने पिछले वर्ष के मुकाबले दो पायदान की प्रगति की है। वर्ष 2021 में चीन 177 वें रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में वह 175वें रैंक पर आ गया। उसने दो रैंक की प्रगति की है। बता दें कि चीन में कम्युनिस्ट शासन, जहां मीडिया पर सत्ता का पूरा नियंत्रण होता है। उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न को लेकर उस पर मानवाधिकर उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं।