द ब्लाट न्यूज़ । केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सीबीआई ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के 26 प्रतिशत विनिवेश के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की है।
केंद्र ने 2002 में एचजेडएल का विनिवेश किया था।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति हेमा कोहली की पीठ को बताया कि सीबीआई ने पिछले साल शीर्ष न्यायालय के निर्देश के अनुसार प्राथमिकी दर्ज की है।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल को मामले में एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद होगी।
पिछले साल 18 नवंबर को शीर्ष अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के विनिवेश में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए मामला दर्ज करें।
करीब दो दशक पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने एचजेडएल में एक रणनीतिक साझेदार – एसओवीएल को हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की शुरुआती जांच के बाद सीबीआई के कई अफसरों की तरफ से की गई सिफारिशों एवं सुझावों को देखते हुए उसका यह मत है कि इस ‘मिनी-रत्न’ उपक्रम के 2002 में हुए विनिवेश की एक प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जाए।
केस दर्ज करने का आदेश देने के बावजूद शीर्ष अदालत ने एचजेडएल में सरकार की बची हुई 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी की खुले बाजार में बिक्री की अनुमति दी थी। उसने यह जरूर कहा कि यह बिक्री बाजार नियामक सेबी के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए की जाए और सबसे अच्छी कीमत पर शेयर बेचे जाएं।