नई दिल्ली । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को दिल्ली और हरियाणा के मुख्य सचिवों को नजफगढ़ झील के पुनरूद्धार के लिए उपचारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया। यह झील पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन उसे प्रशासन से अपेक्षित तवज्जो नहीं मिल रही।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में पीठ ने झील के पुनरूद्धार के लिए उठाये गये कदमों पर नाखुशी जतायी और हरियाणा तथा दिल्ली के मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिये उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
अधिकरण ने कहा कि मुख्य सचिव संबंधित पुलिस से रिपोर्ट प्राप्त करके पेश करें कि क्या उल्लंघन करने वालों पर आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 277 (सार्वजनिक झरने या जलाशय का पानी दूषित करना) के तहत आपराधिक मामला बनता है। अधिकरण ने मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे पुलिस के संबंधित अधिकारियों को भी अगली सुनवाई के दिन एनजीटी के समक्ष उपस्थित रहने को कहें।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने मामले पर गौर किया है और पाया है कि जलाशय के पुनरूद्धार का मुद्दा पर्यावरण के लिए अहम सवाल है लेकिन इसे वो तवज्जो नहीं दी गयी जिसकी प्रशासन से अपेक्षा थी।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हरियाणा सरकार ने कभी पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) नहीं बनायी और न ही उसने ऐसा नहीं करने पर कोई जवाब दिया है। दिल्ली सरकार ने ईएमपी का मसौदा तैयार किया है लेकिन ईएमपी पूरी होने के बाद ही इसका लागू किया जा सकता है।’’ मामले में अगली सुनवाई चार अक्टूबर को होगी।