सैनिक फार्म को नियमित करना है या नहीं…

द ब्लाट न्यूज़ । दक्षिणी दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में से एक ‘सैनिक फार्म कॉलोनी को नियमित किया जाना है या नहीं, इस बारे में दिल्ली सरकार द्वारा स्पष्ट रुख नहीं अपनाए जाने पर उच्च न्यायालय ने बुधवार को नाराजगी जाहिर की।

न्यायालय ने कहा है कि जब सरकार पूरी दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित कर रही है। ऐसे में सैनिक फार्म को अवैध निर्माण की प्रकृति का सर्वे किए बगैर नियमित नहीं किया जाना, वहां रहने वाले लोगों के साथ भेदभाव होगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने सरकार से कहा कि ‘आपने सर्वेक्षण भी नहीं किया है कि क्या निवासी सरकारी भूमि, वन भूमि या कृषि भूमि पर कब्जा कर रहे हैं? पीठ ने कहा कि यदि सरकारी या वन भूमि पर कोई अनधिकृत कब्जा है तो हम समझ सकते हैं।

पीठ ने सरकार से कहा कि जब आपने कई अन्य कॉलोनियों को नियमित किया है तो आपको भेदभाव क्यों करना चाहिए? पीठ ने सरकार से कहा कि आप या तो स्पष्ट तौर पर सैनिक फार्म कॉलोनी को नियमित करने के बारे में फैसला लें, लेकिन आप इसे अधर में नहीं रख सकते। उच्च न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया जब, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया कि सरकार गरीबों को निशाना बनाते हुए जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ कर रही है। जबकि सैनिक फार्म जैसी कॉलोनियों में अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

यह है मामला : उच्च न्यायालय 2015 में सैनिक फार्म कॉलोनी को नियमित करने की मांग को लेकर क्षेत्र विकास समिति के संयोजक रमेश दुगर की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। वर्ष 2017 में पीठ को बताया गया था कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय इस कॉलोनी को नियमित करने के बारे में दिल्ली सरकार व अन्य निकाय के साथ विचार हो रहा है। मामले में बुधवार को केंद्र सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि यह अब भी लंबित है। इस पर न्यायालय ने कहा कि सैनिक फार्म में हजारों घर हैं, आप किसी को मरम्मत करने तक नहीं दे रहें हैं, कल यदि मकान जर्जर हो जाता है और कोई हादसा होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

 

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