द ब्लाट न्यूज़ । उत्तर पश्चिमी जिले के जहांगीरपुरी हिंसा मामले की जांच में जुटी दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को शक है कि आरोपितों ने अपने मोबाइल फोन से डाटा डिलीट कर दिया है। इसलिए पुलिस इन मोबाइल फोनों की जांच इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) को सौंप दिया है। यह यूनिट अब मामले की जांच कर यह पता लगाएगी कि इन मोबाइल से कब और कौन सा डाटा डिलीट किया गया। इतना ही नहीं पुलिस इन डिलीट किए गए डाटा को हासिल भी करेगी।
आईएफएसओ यूनिट दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम की विशेष यूनिट है। इस यूनिट के पास कुछ ऐसे साफ्टवेयर हैं, जिसकी मदद से दिल्ली पुलिस फोन से डिलीट किए गए डाटा को भी रिस्टोर कर सकती है। दरअसल, मामले की जांच में जुटी दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा यह जानना चाहती है कि गिरफ्तार आरोपितों में आपस मे क्या कनेक्शन है और किन-किन आरोपितों ने हिंसा के दौरान एक दूसरे से संपर्क किया और किसने हिंसा के पहले और बाद में संपर्क में किया।
गिरफ्तार 23 में से 9 का है आपराधिक रिकॉर्ड
आरोपितों की पृष्ठभूमि की जांच करने के बाद यह देखा गया कि गिरफ्तार किए गए 23 आरोपितों में 9 का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। पुलिस की तरफ से हिंसा को रोकने की पूरी कोशिश की गई थी और फिलहाल सीसीटीवी की जांच की जा रही है। पहचाने गए संदिग्धों की धर-पकड़ में पुलिस की कई टीमें जुटी हुई हैं।
साजिश के तहत हिंसा करने की जांच
मामले की जांच में जुटी पुलिस का कहना है कि जिस तरह से अचानक ही करीब डेढ़ हजार लोग मौके पर पूरी तैयारी के साथ पहुंच गए, उससे तो यह आशंका जताई जा रही है कि साजिश के तहत वारदात को अंजाम दिया गया है। बहरहाल पुलिस सभी कोणों को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच कर रही है।
इतना ही नहीं हिंसा को काबू करने के बाद पुलिस ने जब जांच शुरू की और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को लेना शुरू किया तो यह पता चला कि इलाके में लगे कई सीसीटीवी के तार काट दिए गए हैं जबकि कई को तोड़ा भी गया है। यह साजिश की तरफ ही इशारा करता है। इसका मतलब यह था कि आरोपितों ने साजिश के तहत ही सीसीटीवी के तार काटे व तोडे़ भी, ताकि उनका कोई सुराग पुलिस को न मिले और पुलिस उन तक न पहुंच सके।
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