नेताओं के खिलाफ पेंडिंग केसों पर की अर्जेंट सुनवाई की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा…

द ब्लाट न्यूज़ । सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर 15 अप्रैल के बाद सुनवाई का फैसला किया है जिसमें कहा गया है कि नेताओं के खिलाफ पेंंडिंग क्रिमिनल केसों में ट्रायल जल्दी होना चाहिए और उनके खिलाफ दर्ज केसों में छानबीन भी स्पीडी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट और कोर्ट सलाहकार विजय हंसारिया ने मामला उठाया और कहा कि मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है। हंसारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ पेंडिंग केसों की स्पीडी ट्रायल का कई आदेश दिया है लेकिन फिर भी अभी 2 हजार केस पिछले पांच साल से पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हंसारिया ने कोर्ट को बताया कि एक अर्जेंट अंतरिम आदेश की जरूरत है।

15 अप्रैल के बाद होगी सुनवाई
नेताओं के खिलाफ पेंडिंग केसों और पेंडिंग ट्रायल के बारे में 16 वीं डिटेल रिपोर्ट पेश की गई है। ये केस निचली अदालत में पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह पीआईएल है और हमने कई आदेश पारित किए हैं यह चल रहा है आप कुछ इंतजार कीजिये। सिर्फ समस्या यह है कि जज कौन से उपलब्ध हैं। अगर हम इस मामले के लिए स्पेशल बेंच का गठन कर देंगे तो फिर दो बेंच प्रभावित हो जाएगा। क्या हम दो बेंच को प्रभावित कर दें। सुप्रीम कोर्ट मं जब अर्जेंट सुनवाई की मांग की गई तो कोर्ट ने कहा कि हम 15 अप्रैल के बाद सुनवाई करेंगे।

नेताओं के खिलाफ करीब 4 हजार केस पेंडिंग
बेंच ने कहा कि इस दौरान हम कुछ हाई कोर्ट के अंतरिम आवेदन को स्वीकार करते हैं जिनमें हाई कोर्ट ने कुछ स्पेशल जज के ट्रांसफर की गुहार लगाई है। हंसारिया ने 9 फरवरी को दिए गए अपनी रिपोर्ट में मौजूदा एमएलए और एमपी और पूर्व एमएलए और एमपी के खिलाफ पेंडिंग केसों का ब्यौरा दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि 4984 केस नेताओं के खिलाफ पेंडिंग हैं। इनमें से 1899 केस पांच साल से ज्यादा पुराना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2018 में कुल पेंडिंग केसं की संख्या 4110 थी जो अक्टूबर 2020 में बढ़कर 4859 हो गई। जबकि 4 दिसंबर 2018 के बाद 2775 केसों का निपटारा भी हुआ है फिर भी एमपी और एमएलए के खिलाफ पेंडिंग केसों की संख्या में इजाफा हो गया। यह 4122 से बढ़कर 4984 हो चुका है। यह दिखाता है कि विधानसभा और संसद में ज्यादा से ज्यादा वैसे लोगों ने सीट कब्जा कर रखा है जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं। यही कारण है कि इस मामले की जल्द सुनवाई की जरूरत है ताकि पेंडिंग केसों का जल्द निपटारा हो सके और इसके लिए सख्त कदम उठाए जा सकें।

राज्यों को स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट गठन को कहा था
सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी। इस मामले में समय समय पर सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश पारित किए हैं। पिछले साल 24 नवंबर को सीटिंग और पूर्व एमपी और एमएलए के खिलाफ केसों के ट्रायल के लिए मैजिस्ट्रेट कोर्ट गठित न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा था कि वह स्पेशल मैजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके आदेश की गलत व्याख्या की है और सिर्फ स्पेशल सेशन कोर्ट का गठन किया है जबकि मैजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन नहीं किया। जबकि हमारा आदेश था कि जहां भी जरूरत है वहां मैजिस्ट्रेट कोर्ट और सेशन कोर्ट का गठन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 16 सितंबर 2020 का आदेश है और कहा गया था कि राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वह सेशन और मैजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करें जहां एमएलए और एमपी के केस का ट्रायल हो। सेशन कोर्ट में जहां भी मैजिस्ट्रेट लेवल के केस पेंडिंग हैं वह ट्रांसफर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया था कि क्या दोषी ठहराए जा चुके नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए आप तैयार हैं। इस मामले में केंद्र का क्या स्टैंड है। सुप्रीम कोर्ट से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि वह मामले में निर्देश लेकर आएंगे।

व्यापम के व्हीसलब्लोअर की अर्जी पर 11 अप्रैल को सुनवाई
व्यापम घोटाला मामले में व्हीसलब्लोअर डॉक्टर आनंद राय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने राय के खिलाफ दर्ज केस खारिज करने से मना किया था। आनंद राय के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने के मामले में केस दर्ज किया गया था। हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद आनंद राय को गिरफ्तार कर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में राय की ओर से विवेक तन्खा की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि हाई कोर्ट ने अंतरिम प्रोटेक्शन दिया था जिसे हटा लिया गया है और आनंद राय के खिलाफ दर्ज केस रद्द करने की गुहार हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया जिसके बाद राय को दिल्ली से गिरफ्तार कर मध्य प्रदेश ले जाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह याचिका पर 11 अप्रैल को सुनवाई करेंगे।

 

Check Also

वाराणसी में प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन कराने पहुंचे प्रत्याशी

The Blat News: उत्तर प्रदेश के लोकसभा की वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने वालों की …