नई दिल्ली । आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में तिहाड़ जेल संख्या आठ में बंद कैदी राशिद जफर का वीडियो वायरल होने के बाद अब जेल प्रशासन इस पूरे प्रकरण की जांच कर यह पता करने में जुटा है कि कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में कैदी ने वीडियो कैसे बनाया। जांच में यह भी पता किया जा रहा है कि वीडियो बनाने के बाद इसे इंटरनेट मीडिया पर कैसे और किसने डाल दिया। छानबीन की जिम्मेदारी जेल प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी को दी गई है। इस घटना के बाद अब दिल्ली के जेलों में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में बंद कैदियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
वायरल वीडियो में राशिद ने जेल में पिटाई का आरोप लगाया है। वीडियो बनाने वाला राशिद नहीं, बल्कि कोई और कैदी है। पिटाई का आरोप जेल के हेड वार्डर व अन्य लोगों पर लगाया गया है। जेल प्रशासन का कहना है कि वीडियो ध्यान से देखने पर ऐसा लग रहा है कि मानों राशिद जो बोल रहा है, वह किसी के कहने पर बोल रहा है। जेल प्रशासन पता करने में जुटा है कि इस प्रकरण में राशिद के साथ कौन कौन शामिल हैं। जिसने यह वीडियो बनाया है, उसके पास मोबाइल कहां से आया। यदि मोबाइल आ भी गया तो बड़ा सवाल है कि उसे इंटरनेट की सुविधा कैसे मिली। कड़ी निगरानी के बाद भी जेल में मोबाइल का इस्तेमाल कैसे हो रहा था। जेल सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जेलकर्मियों की भी भूमिका की जांच की जा रही है।
तिहाड़ में कैदियों तक मोबाइल का पहुंचना जारी है। आखिर बहुस्तरीय सुरक्षा के तमाम द्वारों से गुजरने के बाद भी मोबाइल जेलकर्मियों को नजर क्यों नहीं आते, यह एक बड़ा सवाल है। आलम यह है कि अब कैदी यहां स्मार्ट फोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जेल परिसर में जो जैमर लगे हैं, वे पूरी तरह नाकामयाब हो चुके हैं।