डे नाईट न्यूज़। श्रीलंका में मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) के सांसदों ने कर्फ्यू आदेशों की अवज्ञा करते हुए रविवार को यहां प्रदर्शन किया।
विपक्षी दल के सांसद, देश में अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच आपातकाल और अन्य पाबंदियां लगाने के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे कदम का विरोध कर रहे हैं।
श्रीलंका की अधिकांश आबादी का रविवार को व्हाट्सऐप, ट्वीटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों से संपर्क टूट गया। सरकार ने अपने खिलाफ प्रदर्शनों को आयोजित करने में इनका इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाते हुए इन पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है।
साइबर सुरक्षा और इंटरनेट शासन पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन ‘नेटब्लॉक्स’ ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगा दिये जाने की पुष्टि की।
विपक्षी सांसद हर्षा डी सिल्वा ने कहा, ‘‘हम श्रीलंका में लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’’
विपक्षी सांसदों ने कोलंबो के इंडीपेंडेंस स्क्वायर की ओर मार्च करते हुए नारे लगाए और तख्तियां दिखायी, जिन पर लिखा था : ‘‘दमन बंद करो’’ और ‘‘गोटा घर जाओ’’।
पुलिस अधिकारियों ने स्क्वायर तक जाने वाले रास्तों पर अवरोधक लगा दिए। यह स्क्वायर 1948 में श्रीलंका की आजादी की याद में बनाया गया था।
‘कोलंबो पेज’ अखबार की खबर के अनुसार, श्रीलंकाई पुलिस ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर देश के पश्चिमी प्रांत में 664 लोगों को गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारियां शनिवार रात 10 बजे से रविवार सुबह छह बजे के बीच चले अभियान के दौरान की गयी।
उन्होंने बताया कि कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे लोगों को पकड़ने के लिए देशभर में और अभियान चलाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी। सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया है।
इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना है।
राजपक्षे ने अपनी सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा का संकट उनके द्वारा नहीं पैदा किया गया है और आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी के कारण आयी है।
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