द ब्लाट न्यूज़। कोरोना के कारण उपजी स्थिति के बाद राजधानी के सरकारी और निजी स्कूल शुक्रवार को लगभग दो साल बाद फिर से पूरी तरह ऑफलाइन मोड में खुल गए। नया सत्र 2022-23 के लिए छात्रों और अभिभावकों को पहले से शिक्षा निदेशालय द्वारा जानकारी दे दी गई थी। विभिन्न स्कूलों में नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी आए। छात्रों, अभिभावकों व शिक्षकों में भी उत्साह देखा गया। मास्क की अनिवार्यता समाप्त होने को कई छात्रों ने सराहा। हालांकि, अधिकांश विद्यार्थी मास्क पहनकर आए विद्यालय आए थे। कई स्कूलों में 85 फीसदी तक विद्यार्थी आए। हालांकि, कई स्कूलों में यह संख्या कम थी।
स्कूल प्रशासन ने एक बार फिर पूरी तरह से कक्षाओं को सेनेटाइज किया और जगह जगह स्कूलों में कोविड नियमों की जानकारी दी। दो साल में ऐसा पहली बार था जब एक बेंच पर दो विद्यार्थी साथ बैठे। विभिन्न स्कूलों में मेंटर टीचर्स संजय प्रकाश शर्मा ने बताया कि पहले भी यह विद्यार्थी स्कूल आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या अधिक है। राजकीय उच्च विद्यालय वेस्ट ज्योति नगर के प्रधानाचार्य राकेश सेमल्टी ने बताया कि लगभग 60 प्रतिशत छात्र स्कूल आए थे। कक्षा छह के छात्रों और अभिभावकों के लिए ओरिएन्टेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें उन्हें बहुआयामी व्यक्तित्व विकास के लिये शिक्षा के प्रस्तावित स्वरूप को समझाया गया। दो अप्रैल को होने वाली मेगा पीटीएम की पूरी तैयारी है। लिटिल फ्लावर पब्लिक स्कूल के छात्र आराध्य ने बताया कि विद्यालय जाकर काफी अच्छा लगा।
4 अप्रैल से खुलेंगे अधिकांश निजी स्कूल : राजधानी के निजी स्कूल बहुत कम संख्या में पूरी तरह ऑफलाइन मोड में खुले। अधिकांश स्कूलों ने सोमवार को खोलने का निर्णय लिया है। कई स्कूल प्रशासन सुबह से ही परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में जुटे थे। विद्या बाल भवन स्कूल मयूर विहार के प्रिंसिपल डा.सतवीर शर्मा ने बताया कि नए शिक्षकों से नए विद्यार्थी परिचित हो सकें, इसके लिए हमने शुक्रवार को एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया था।
शिक्षा निदेशालय ने पहले दिए थे निर्देश : शिक्षा निदेशालय ने फरवरी में स्कूल खोलने के निर्णय के साथ अपने निर्देश में कहा था कि छात्रों की वर्तमान साक्षरता और संख्यात्मक स्थिति को जानना महत्वपूर्ण है। इस अंतर को पाटने के लिए उपयुक्त शिक्षण गतिविधियों की योजना बनाई जा सकती है। इसके लिए, रीडिंग असेसमेंट टूल्स के दो सेट – एक, नर्सरी से 5 तक के छात्रों के लिए और दूसरा कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए उपयोग किया जा सकता है। निदेशालय ने कहा है कि मूल्यांकन की यह प्रक्रिया शिक्षक के लिए छात्रों के साथ आमने-सामने बातचीत करने का अवसर भी है। शिक्षकों को भी चाहिए कि वह अपने छात्रों को यह ध्यान दें कि विशेष परिस्थिति में बच्चे को आगे कैसे सहयोग किया जा सकता है।