द ब्लाट न्यूज़ । दुष्कर्म के एक मामले की दोषपूर्ण जांच पर उच्च न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लिया है। न्यायालय ने कड़ा रूख अपनाते हुए पश्चिमी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त को मामले में निजी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने पुलिस उपायुक्त को हलफनामा के लिए तीन सप्ताह का वक्त दिया है। उन्होंने कहा है कि पीड़िता ने अपने बयान में साफ कहा कि आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया है और उसका अश्लील वीडियो बनाने के साथ तस्वीरें ली है। न्यायालय ने कहा कि पीड़िता के बयान से साफ हो गया है कि मामले की जांच दोषपूर्ण है। हाल ही में पारित आदेश में न्यायालय ने कहा कि तथ्यों से जाहिर होता है कि पुलिस/जांच अधिकारी ने मामले की उचित तरीके से जांच नहीं की है। यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने संबंधित पुलिस उपायुक्त को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है।
न्यायालय ने कहा है कि पीड़िता के अनुसार दुष्कर्म के बाद आरोपी ने उसका अश्लील वीडियो बनाया लेकिन पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि आरोपी का मोबाइल फोन बरामद नहीं किया जा सका। न्यायालय को यह भी बताया गया कि मामले के दूसरे जांच अधिकारी ने सितंबर 2020 में दोबारा एमएलसी कराया। न्यायालय को यह भी बताया गया कि मामले के पहले जांच अधिकारी ने साइट प्लान भी नहीं बनाया था।
उच्च न्यायालय ने मारपीट, छेड़छाड़, दुष्कर्म और महिला के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच की निगरानी की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में संबंधित थाना प्रभारी को मामले के आरोपी को गिरफ्तार करने का आदेश देने की मांग की गई है। पीड़िता की ओर से दाखिल याचिका में आरोपी के मोबाइल, इलेक्ट्रिक डिवाइस जब्त करने और आरोपी के मोबाइल में मौजूद पीड़िता की फोटो बरामद करने का आदेश देने की मांग की गई थी।