मुस्लिम व्यक्ति भी गोद ले सकता है बच्चा : अदालत का नया कानून…

डे नाईट न्यूज़ । एक आपराधिक मुकदमे में जेल में बंद आरोपी ने बच्चा गोद लेने के लिए अदालत से पैरोल की मांग की। लेकिन, अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया। अभियोजन ने कहा कि इस्लाम में बच्चा गोद लेने का प्रावधान नहीं है। इस पर अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए बच्चा गोद लेने से नहीं रोका जा सकता, क्योंकि वह इस्लाम धर्म से है।

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत ने जेल अधीक्षक को आदेश दिया है कि वह आरोपी को हिरासत में संबंधित कार्यालय लेकर जाएं, जहां बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के तहत आरोपी को हस्ताक्षर करना है। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बच्चा गोद लेने से इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय से है। बच्चा गोद लेने का अधिकार सभी को समान रूप से है।

दरअसल, आपराधिक मामले में जेल में बंद मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी वकील कौसर खान के जरिए बच्चा गोद लेने के लिए पैरोल की मांग संबंधी याचिका अदालत में दायर की थी। याचिका में कहा गया कि आरोपी को बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने हैं और संबंधित अधिकारी से भी मिलना है। इसके लिए उसे हरियाणा के नूंह जाना पड़ेगा, जिसके लिए उसने पेरौल की मांग की थी।

अदालत में सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक ने पैरोल का विरोध करते हुए तर्क दिया कि इस्लाम धर्म बच्चा गोद लेने की कानूनी रूप से इजाजत नहीं देता है क्योंकि मुस्लिम समुदाय पर धर्म से संबंधित पर्सनल लॉ लागू होते हैं। लोक अभियोजक की इस दलील पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बेशक बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं देता, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के अंतर्गत हर व्यक्ति को बच्चा गोद लेने का अधिकार है। याचिकाकर्ता के इस अधिकार को महज इसलिए समाप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह मुस्लिम है और आपराधिक मामले में आरोपी है। वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल दे दी।

 

Check Also

रूस में आतंकी हमला, 40 लोगों की मौत,100 से भी अधिक लोग हुए घायल

The Blat News: रूस की राजधानी मास्को शुक्रवार को आतंकी हमले से दहल गई। चार …