द ब्लाट न्यूज़। साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी की अदालत ने पति द्वारा गुजारा भत्ता से बचने के लिये लगाई गई उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पति ने आरोप लगाया गया था कि पत्नी के किसी और व्यक्ति से नाजायज रिश्ते हैं। अत: वह गुजाराभत्ता देने का अधिकारी नहीं है।
अदालत ने कहा कि गुजाराभत्ता सिर्फ महिला के लिए नहीं उसके बच्चों के लिए भी है। अदालत ने कहा कि पत्नी पर चरित्रहीन होने का आरोप लगा कर पति गुजाराभत्ता देने से नहीं बच सकता अदालत ने कहा कि यह गुजाराभत्ता सिर्फ महिला के लिए नहीं बल्कि उसके दो नाबालिग बच्चों के लिए भी है। इन बच्चों का भरण पोषण करना उसकी जिम्मेदारी है।
पति याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर पति बच्चों की स्कूल की फीस के अलावा उनके मेडिकल बीमा की किस्त भी भरता है तो वह कोई अहसान नहीं कर रहा है, यह उसका दायित्व है। जिसकी अनदेखी वह नहीं कर सकता। साथ ही अदालत ने कहा कि क्योंकि पति ने पत्नी व बच्चों को रहने के लिए वैकल्पिक स्थान नहीं दिया है इसलिए उनके किराये की भरपाई करना भी कानून की दृष्टि से गलत नहीं है।
अदालत ने कहा कि पति ने पत्नी पर दूसरे व्यक्ति से अवैध संबंध रखने का आरोप लगाया है। यह तथ्य वह सामान्य मामले की सुनवाई के दौरान पेश करे। यहां बात दो नाबालिग बच्चों के भविष्य की है। जिनकी देखभाल के लिए एक मुश्त राशि की आवश्यकता है। मां भी इन बच्चों के भरण.पोषण के एक हिस्से का खर्च उठा रही है। ऐसे में पति के हिस्से आई रकम का उसे भुगतान करना ही होगा।
सबूत के तौर पर पति के द्वारा अदालतके समक्ष तीन अलग अलग समय के होटल के बिल अदालत में पेश किए गए हैं जिनमें उसने दावा किया है कि पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ होटल में ठहरी। यहां तक की पत्नी ने अपनी कार्ड से इन होटल के बिल की भरपाई की। इस पर अदालत ने कहा कि बेशक पति के द्वारा पेश साक्ष्य सही हो सकते हैं। लेकिन इस बाबत निर्णय घरेलू हिंसा व अन्य मामले पर सुनवाई कर रही अदालत करेगी।
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