तमिलों के अधिकारों के लिए ‘अधूरा’ राजनीतिक समाधान कभी स्वीकार नहीं करेंगे…

द ब्लाट न्यूज़। श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी टीएनए तमिल लोगों के अधिकारों के लिए सरकार द्वारा पेश किए गए ‘‘अधूरे’’ राजनीतिक समाधान को कभी स्वीकार नहीं करेगी। पार्टी के एक शीर्ष नेता ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के साथ बातचीत के बाद यह बात कही।

सरकारी समाचार पत्र ‘डेली न्यूज’ की खबर के अनुसार तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) के नेता आर. सम्पंथन ने पिछले सप्ताह राष्ट्रपति के साथ पार्टी नेताओं की हुई चर्चा के नतीजे पर मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पार्टी ने राजपक्षे से अनुरोध किया कि वे संविधान में 13वें संशोधन को और अधिक शक्तियां देकर श्रीलंका में जातीय मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाएं।

उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए, पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से कहा कि वे 13वें संशोधन की मूल बातें बरकरार रखना चाहते हैं और एक राजनीतिक समाधान के साथ आगे आना चाहते हैं जो उन्हें एक नए संविधान के माध्यम से अधिक शक्ति प्रदान करेगा।

खबर में सम्पंथन के हवाले से कहा गया है, ‘‘टीएनए तमिल लोगों के अधिकारों के लिए सरकार द्वारा पेश किए गए आधे-अधूरे राजनीतिक समाधान को कभी स्वीकार नहीं करेगा।’’ उन्होंने कहा कि तमिल नेताओं और इस देश के लोगों का प्रतीक्षा समय तमिल लोगों के अधिकारों और उनकी विरासत की सुरक्षा के लिए पर्याप्त है।

उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सरकार और राष्ट्रपति इस समय ईमानदारी से कार्य करें। उन्होंने कहा कि टीएनए ने इस बार राष्ट्रपति के साथ समस्या का स्थायी समाधान निकालने के इरादे से इस मामले पर चर्चा की थी, और कहा कि टीएनए यदि आवश्यक हो तो आगे भी बातचीत के लिए तैयार है।

सम्पंथन ने कहा कि टीएनए अब तक सत्ता में आई हर सरकार की राजनीति के वादों में फंसी है और उनकी पार्टी अब इस तरह के राजनीतिक जाल में नहीं फंसना चाहती है और एक खंडित या आधा-अधूरा राजनीतिक समाधान स्वीकार नहीं करेगी।

गौरतलब है कि 13वां संशोधन तमिल समुदाय को सत्ता के हस्तांतरण का प्रावधान करता है। भारत 13वें संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंका पर दबाव बना रहा है जो 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया था।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने और सात देशों के बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका का दौरा किया। उन्होंने सोमवार को सम्पंथन नेतृत्व में टीएनए प्रतिनिधिमंडल और तमिल प्रोग्रेसिव अलायंस (टीपीए) के नेताओं से मुलाकात की थी।

जयशंकर ने कहा था कि भारत लगातार एक संयुक्त श्रीलंका के ढांचे के भीतर समानता, न्याय, शांति और गरिमा के लिए उनकी आकांक्षाओं को साकार करने का समर्थन करता है।

टीएनए प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ बैठक में राजनीतिक कैदियों की रिहाई, भूमि के उपयोग, लापता व्यक्तियों, 13वें संशोधन के कार्यान्वयन और प्रवासी निवेश के मुद्दों पर चर्चा की गई।

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