स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए अब भारतीय वायु सेना उन्हें अमेरिकी युद्धक बम किट ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक म्युनिशन (जेडीएएम) से लैस करेगी। इससे तेजस दुश्मन के ठिकानों पर सटीक लक्ष्य साध सकेगा। तेजस को मिलेगी बढ़त: सरकारी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में वायुसेना ने जेडीएएम के लिए करार किया था, जिससे हवा से जमीन पर हमले में प्रयोग किए जाने वाले बम 80 किलोमीटर की दूरी तक भी पूरी सटीकता से लक्ष्य भेद सकेंगे। इसी कड़ी में सबसे पहले तेजस के बेड़े को जेडीएएम से लैस किया जा रहा है।
जेडीएएम किट लगने से अधिक सटीक लक्ष्य भेदन कर सकेगा स्वदेशी लड़ाकू विमान
सूत्रों के अनुसार, आने वाले समय में तेजस को वायुसेना के प्रमुख साधन के तौर पर प्रयोग किया जाना है। इस प्रणाली से लैस होने से स्वदेशी विमान तेजस को प्रतिद्वंद्वी विमानों पर बढ़त मिलेगी जो निकट की दूरी पर ही लक्ष्य भेद सकते हैं। हाल ही में वायुसेना ने तेजस को जमीनी हमले में प्रयोग होने वाली फ्रांस निर्मित मिसाइल हैमर और हवा से हवा में मार करने वाली स्वदेशी एस्ट्रा मिसाइल से भी सुसज्जित किया था।
दो स्क्वाड्रन की गईं शुरू
भारतीय वायुसेना ने अपनी दो स्क्वाड्रन को आरंभिक परिचालन मंजूरी और निर्णायक परिचालन मंजूरी के तहत शुरू कर दिया है। जबकि दो वर्ष में 83 मार्कवन ए की आपूर्ति के लिए करार भी हो गया है। वायुसेना रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान द्वारा बनाए जा रहे हल्के लड़ाकू विमान मार्क 2 और एएमसीए पर भी ध्यान केंद्रित किए है।
सरकार द्वारा दी गई वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर रहे हैं सशस्त्र बल
भारतीय सशस्त्र बलों ने सरकार द्वारा विभिन्न चरणों में उन्हें दी गई वित्तीय शक्तियों का व्यापक रूप से उपयोग किया है, ताकि दोनों पक्षों के दुश्मनों द्वारा किसी भी संघर्ष या आक्रमण से निपटने के लिए आवश्यक हथियारों से खुद को लैस किया जा सके। भारतीय वायु सेना स्वदेशी एलसीए तेजस लड़ाकू विमान को अधिक से अधिक क्षमताओं को जोड़कर उन्हें और सशक्त बना रही है। गलवन घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुए संघर्ष के बाद भारतीय सेना के तीनों अंग लगातर अपने आप को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं।