टीबी को मात देकर ठीक हुए ‘चैंपियन’ बोले मरीजों का बढ़ाएं मनोबल…

द ब्लाट न्यूज़। ट्यूबरक्लोसिस या टीबी बीमारी किसी को भी हो सकती है और इसका सौ प्रतिशत इलाज है, लेकिन समाज के डर से लोग टीबी के संबंध में खुल कर बात करना पसंद नहीं करते। जिस घर में टीबी का मरीज होता है, उसका आसपास के लोग बहिष्कार करने लगते हैं। इस बीमारी को हराकर स्वस्थ हुए मरीजों का कहना है कि टीबी बीमारी होने पर रिश्तेदार और आसपास रहने वाले लोग दूरी बना लेते हैं।

बृहस्पतिवार को विकास सदन में विश्व क्षय दिवस के मौके पर टीबी फोरम बैठक में उप सिविल सर्जन डा. केशव शर्मा ने कहा कि टीबी से ठीक हुए (स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन्हें ‘टीबी चैंपियन’ नाम दिया गया) मरीजों ने भी समाज को एक संदेश दिया। इस मौके पर गांव टिकरी की संगीता ने टीबी बीमारी के दौरान लोगों के व्यवहार को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब उनको टीबी का पता चला तो रिश्तेदारों और आस पास रहने वालों ने घर पर आना बंद कर दिया था जबकि सावधानी रखने से बचाव होता है। उन्हें खुशी थी कि स्वास्थ्य विभाग और संस्थाओं के कर्मी उनके साथ थे। संगीता ने कहा वह आज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी हैं मगर लोग आज भी दूरी बनाने की कोशिश करते हैं।

बादशाहपुर की नीलम ने बताया कि बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन उसका इलाज समय रहते करा लेना चाहिए। अगर डाक्टर के बताए अनुसार दवा ली जाए तो टीबी जड़ से समाप्त होती है। समाज को यह जानकारी होते हुए भी मरीज को घृणा की ²ष्टि से देखते हैं। सोहना की कोमल ने कहा कि वह लोगों से यही कहना चाहती हैं कि टीबी बीमारी होने पर मरीज के साथ सौतेला व्यवहार नहीं करना चाहिए। बीमारी आई है तो चली भी जाएगी। ऐसा करने से मरीज का मनोबल टूटता है।

गांव डूंडाहेड़ा की लक्ष्मी ने बताया कि उन्हें एमडीआर टीबी थी और गंभीर बीमार थी। मरीज घबराएं नहीं, स्वास्थ्य विभाग निशुल्क इलाज देता है तथा हर महीने 500 रुपये मिलते हैं। इसलिए डाक्टर के बताए अनुसार इलाज लेने से मरीज पहले की तरह स्वस्थ हो जाएगा। गांव खड़कड़ी के विजय कुमार तथा गांव चकरपुर के नीलेश ने कहा कि टीबी मरीज के पास जाने या उसे छूने, बात करने से सामने वाला टीबी बीमारी से ग्रस्त नहीं होगा। इसलिए मरीज के साथ अच्छा व्यवहार रखें।

 

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