द ब्लाट न्यूज़। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गुनहगार नलिनी श्रीहरन की समय पूर्व रिहाई की मांग करने वाली रिट याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद मद्रास उच्च न्यायालय की पहली पीठ ने बृहस्पतिवार को रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह इस याचिका को नंबर प्रदान करे।
इस मामले में 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद नलिनी ने रिट याचिका में अनुरोध किया है कि उसे तमिलनाडु के राज्यपाल की अनुमति के बिना समय पूर्व रिहा किया जाये। इस पर उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह याचिका को पंजीकृत करे।
याचिका की विचारणीयता पर संदेह जताते हुए उच्च न्यायालय रजिस्ट्री ने इसे अब तक पंजीकृत कर कोई संख्या नहीं प्रदान की थी।
पूर्व में एआईएडीएमके की कैबिनेट ने सितंबर 2018 में एक प्रस्ताव पास करके राज्यपाल से यह सिफारिश की थी कि वह अनुच्छेद 161 के तहत इस मामले में आजीवन कारावास काट रहे सभी सात गुनहगारों की समय पूर्व रिहाई का आदेश दें।
राज्यपाल की तरफ से कोई कदम नहीं उठाये जाने पर नलिनी और अन्य ने उच्च न्यायालय में कई याचिकायें दायर करके राज्यपाल को उनकी याचिका पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की। लेकिन इसके बाद भी कोई आदेश नहीं जारी किया गया और सभी याचिकायें नाकाम हो गईं।
अंत में नलिनी ने मौजूदा रिट याचिका में राज्यपाल की अनुमति के बिना समय पूर्व रिहाई की अपील की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड के एक अन्य दोषी एजी पेरारीवलन जमानत दे दी।
इसलिए नलिनी ने भी उच्च न्यायालय से शीष्र अदालत के पैमाने को लागू करने की अपील करते हुए जमानत देने का अनुरोध किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव सभा के दौरान लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट करके उनकी हत्या कर दी थी। बाद में इस आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी।