-सात दिनों से कोयला खुदाई व ढुलाई बंद रहने से हुआ 14 करोड़ का नुकसान
द ब्लाट न्यूज़। बीते सात दिनो से जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड के पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक में बंद पड़े कोयला की ढुलाई और खुदाई का काम चालु कराने गये पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, बीजीआर माइनिंग इंफ्रा लिमिटेड के अधिकारियों सहित सिविल एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को विशनपुर गांव के विस्थापितों का आक्रोश मंगलवार को झेलना पड़ा। कोल कंपनी के अलावे सिविल एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी विस्थापितों से वार्ता कर खदान चालू करने के लिए मंगलवार को पहुंचे थे। इसी दौरान कोल कंपनी एवं प्रशासन के अधिकारियों के इशारे पर कुछ ग्रामीणो द्वारा बीते 6 दिन पूर्व पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक में गाड़े गये चोड़का को उखाड़ा जाने लगा और कोयले की खुदाई भी चालु कर दी गयी।
चोड़का उखाड़ने और काम चालू कराने से भड़के सैकड़ों आदिवासी ग्रामीण तीर धनुष लेकर पहुंचे और पहले कोयला खदान में खड़े वाहनो की चाभी छिन ली। इतना ही नही खदान के आसपास खड़े वाहनो पर पथराव किया और कोल कंपनी सहित खदान की सुरक्षा में तैनात जवानों के साथ धक्का मुक्की की गयी। विस्थापित ग्रामीणो द्वारा कोल कंपनी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए खदान में चालु कराये गये काम को बंद करा दिया गया और उखाड़े गये चोड़का को दुबारा गाड़ दिया गया। पारंपरिक हथियारों से लैस ग्रामीण अपने गुस्से का इजहार करते रहे और ग्रामीणों के बीच से ही कुछ लोगों द्वारा मौजूद जवानों पर अलकुशी फेंक दिया गया। ग्रामीणों के विरोध की वजह से कोयला उत्खनन और परिवहन मंगलवार को सातवें दिन चालु नही हो पाया है। पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक में मंगलवार को प्रशासन की ओर से एसडीओ पंकज कुमार साव, एसडीपीओ नवनीत एंथोनी हेम्ब्रम, बीडीओ कुमार दिवेश द्विवेदी, पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी मनोज कुमार, बीजीआर के अनील रेड्डी, विजय साई रेड्डी, जेम्स मुर्मू, पीआरओ संजय बेसरा, डब्लुबीपीडीसीएल के नरेंद्र कुमार, तरणी सेन मांझी ग्रामीणों से वार्ता करने पहुंचे थे। कोल कंपनी के अलावे सिविल एवं पुलिस प्रशासन के ये सभी अधिकारियों की मौजूदगी में ही ग्रामीणो द्वारा जबरदस्त हंगामा किया गया और मांगे पूरी नही होने तक कोयला उत्खनन और परिवहन चालु नही होने देने की धमकी भी दी। जिस वक्त ग्रामीण विरोध जताते हुए मौजूद जवानों और कोल कंपनी के अधिकारियों के साथ नोकझोंक कर रहे थे सिविल और पुलिस प्रशासन ही नही बल्कि डब्लुबीपीडीसीएल एवं बीजीआर के अधिकारी भी मुकदर्शक बने हुए थे। कोयला खदान में कामकाज ठप होने की वजह से अबतक 14 करोड़ रुपए का नुकसान सरकार एवं कंपनी को उठाना पड़ा है। ग्रामीणों द्वारा विरोध दर्ज करने एवं नोकझोंक और पथराव किये जाने के मामले को लेकर सम्पर्क करने पर दुरभाष पर बीजीआर के जनसम्पर्क पदाधिकारी संजय बेसरा ने कहा कि ग्रामीणो के साथ वार्ता करने का प्रयास किया गया ताकि उनकी मांगो को जाना जा सके और कंपनी उसका निदान भी निकाल सके लेकिन ग्रामीण वार्ता के लिए तैयार नही हुए। श्री बेसरा ने बताया कि कोयला उत्खनन और परिवहन चालु कराया गया था लेकिन ग्रामीणो के विरोध की वजह से उसे बंद कर दिया गया है। यहां उल्लेखनीय है कि विशनपुर के विस्थापितों ने अपने मवेशियो को रखने के लिए पशु शेड बनाने, मांझी थान एवं जाहेर थान का निर्माण करने, मुआवजा राशि का भुगतान करने, आर एंड आर पॉलिसी के तहत सारी सुविधाए विस्थापित परिवारो को मुहैया कराने एवं उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही कोयला का उत्खनन और परिवहन करने की मांग को लेकर बीते 16 मार्च को पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक के उत्खनित क्षेत्र में चोड़का गाड़ दिया और उत्खनन एवं परिवहन को बंद करा दिया है।