प्रधान न्यायाधीश: वैश्वीकृत दुनिया के लिए सबसे उपयुक्त विवाद समाधान तंत्र है मध्यस्थता

 

द ब्लाट न्यूज़ । प्रधान न्यायाधीश एन.वी रमण ने शनिवार को कहा कि वैश्वीकृत दुनिया के लिए सबसे उपयुक्त विवाद समाधान तंत्र मध्यस्थता है और यह तत्काल राहत देने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया भी है। ‘वैश्वीकरण युग में मध्यस्थता’ पर दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि वास्तव में वैश्विकरण को हासिल करने के लिए पहली जरूरत कानून का वैश्विक स्तर पर सम्मान सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा, ”वैश्वीकृत दुनिया में विश्वास केवल कानून के शासन पर जोर देने वाली संस्थाओं का निर्माण करके ही बनाया जा सकता है। कानून का शासन और मध्यस्थता एक दूसरे के विरोधाभासी नहीं हैं। मध्यस्थता और न्यायिक निर्णय, दोनों का समान लक्ष्य है: न्याय की खोज। भारतीय अदालते अपने मध्यस्थता-समर्थित रुख के लिए पहचानी जाती हैं। भारत में अदालतें मध्यस्थ्ता का सहयोग और समर्थन करती हैं और न्याय निर्णय के वास्तविक हिस्से को मध्यस्थ न्यायाधिकरण पर ही छोड़ती हैं।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”निवेशकों को आकर्षित करने में विवादों के निपटारे के लिए स्थिर एवं प्रभावी तंत्र उपलब्ध कराने की भी अहम भूमिका है। भारत की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी स्तरों पर मध्यस्थता परिदृश्य में सुधार और देश में व्यापार करना आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा कि भारतीय संसद ने वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम के जरिए वाणिज्यिक मामलों में न्याय मिलने को और अधिक सुव्यवस्थित और तेज किया है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि मध्यस्थता की संस्कृति को बढ़ावा देना आसान काम नहीं है और इसके लिए केवल मध्यस्थता-समर्थित नीति बनाना ही काफी नहीं है। उन्होंने कहा, ”इस संबंध में कुछ अनूठे कदम भी उठाए जाने चाहिए। विभिन्न मुकदमों की पड़ताल करने के बाद, मैंने पाया कि सरकारें और पक्ष अक्सर यह रुख अपनाते हैं कि शुरू में किया गया समझौता निरर्थक अथवा निष्पादन योग्य नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक नीति या कानून के खिलाफ है। इस तरह की आपत्तियों से बचने के लिए कोई विशेष तंत्र खड़ा करने की जरूरत है।”

 

Check Also

दक्षिण कोरिया में पुलिस का जेजू एयर के कार्यालयों पर छापा

सियोल । दक्षिण कोरिया की विमानन कंपनी जेजू एयर को हालिया दुर्घटना के लिए बड़ी …