कुशीनगर । अनेक सरकारी प्रयासों के बाद भी कुशीनगर में कालाजार रोग का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। चालू वर्ष में अब तक इस रोग के छह मरीज प्रकाश में आए हैं। रोगियों में दो महिला हैं।
जिले के कुबेरस्थान ब्लॉक के दो, दुदही ब्लॉक के एक तथा तरयासुजान ब्लॉक के तीन रोगी पाए गए हैं। इसी अवधि में जनपद में चमड़ी बुखार के भी पांच रोगी मिले हैं। इसमें एक महिला व चार पुरूष रोगी हैं, जिसमें से तरयासुजान ब्लॉक के चार तो पडरौना के एक मरीज का नाम शामिल है।
जिला मलेरिया अधिकारी आलोक कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कुशीनगर जनपद कालाजार प्रभावित जनपदों में से एक है, हालांकि इसके बचाव को लेकर सभी प्रभावित गांवों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए छिड़काव का काम पूरा कर लिया गया है, मगर फिर सतर्कता जरूरी है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है।बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए समय-समय पर जिले में निरोधात्मक कार्यवाही की जाती है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है। इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट ऊंचाई तक कराया जाता है। कोरोना काल में यदि किसी व्यक्ति को कालाजार के लक्षण दिखे तो कतई नजरंदाज न करें। तत्काल जांच कराकर समुचित इलाज कराएं। जिला अस्पताल में कालाजार निशुल्क इलाज की व्यवस्था है।
डब्लूएचओ के जोनल कोर्डिनेटर डॉ.सागर घोडेकर ने इसकी निगरानी की जा रही है। कहा कि कोरोना काल में यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखे तो वह उसे अनदेखा न करें और तत्काल जांच कराएं। अब कालाजार का इलाज आसान हो गया है। मरीज के लिए कुशीनगर जिला अस्पताल में अच्छी व्यवस्था की गयी है। दवा महंगी होने के बावजूद निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है।
उन्होंने निजी चिकित्सकों से भी अपील की है कि यदि किसी के पास कोई कालाजार का रोगी इलाज कराने पहुंचे तो जिला अस्पताल की राह दिखाएं। डब्ल्यूएचओ के जोनल कोर्डिनेटर ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह छह फीट ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है।