प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कई बड़े ऐलान किये। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि योग दिवस यानी 21 जून से देश में 18 साल से अधिक उम्र वाले सभी लोगों को भारत सरकार द्वारा मुफ्त वैक्सीन लगाई जाएगी। पीएम मोदी ने साफ किया कि किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है और अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इससे जुड़ जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीनेशन पॉलिसी पर राजनीति करने वालों को भी डोज दिया। कोरोना वैक्सीन को लेकर पैदा हो रही भ्रांतियों पर उन्होंने कहा कि कोई भी किसी अफवाह में ना आए और किसी के बयानों पर ना जाए। पीएम ने कहा कि हर कोई वैक्सीन लगवाए और समाज के आम लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील करे।
‘पहले कई दिनों बात आता था टीका’
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की मांग ज्यादा है और वैक्सीन बनाने की कंपनियां कम हैं। भारत के पास अगर अपनी वैक्सीन ना होती तो हाल कुछ और होता। पिछले 50-60 साल का इतिहास यही कहता है कि हमारे यहां दुनिया में वैक्सीन आने के कई दिनों बाद टीका आता था। पीएम ने कहा कि साल 2014 में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 फीसदी था। अगर इसी रफ्तार से बढ़ते तो देश को टीकाकरण में 40 साल लग जाते। हमने वैक्सीनेशन की स्पीड बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत को कोरोना ने घेर लिया था, लेकिन एक ही साल में भारत ने दो वैक्सीन बनाई और अबतक 23 करोड़ वैक्सीन की डोज़ दी जा चुकी हैं।
‘राज्यों को दी छूट’
पीएम ने आगे कहा कि कोरोना के लगातार कम होते मामलों के बीच देश के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे। यह भी कहा जाने लगा कि आखिर राज्य सरकारों को टीकों और लॉकडाउन के लिए छूट क्यों नहीं मिल रही है। इसके लिए संविधान का जिक्र करते हुए यह दलील दी गई कि आरोग्य तो राज्य का विषय है। इसके बाद केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस तैयार कीं और राज्यों को छूट दी कि वे अपने स्तर पर प्रतिबंध लागू कर सकें।
‘कई सवाल उठाए गए’
पीएम मोदी ने कहा कि इस साल 16 जनवरी से 30 अप्रैल तक वैक्सीनेशन का कार्यक्रम केंद्र की देखरेख में ही आगे बढ़ा था। इस बीच कई राज्य सरकारों ने कहा कि वैक्सीन का काम डिसेंट्रलाइज किया जाए। कई तरह के स्वर उठे कि वैक्सीनेशन के लिए आयु वर्ग क्यों बनाए गए? कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है? काफी चिंतन-मनन के बाद यह फैसला हुआ कि यदि राज्य सरकारें अपनी ओर से प्रयास करना चाहती हैं तो भारत सरकार क्यों ऐतराज करे।
‘राज्यों ने बदली राय’
इसलिए 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था में एक बदलाव किया गया। 1 मई से 25 फीसदी काम राज्यों को सौंप दिया गया। उसे पूरा करने के लिए उन्होंने प्रयास भी किए। लेकिन इसी दौरान उन्हें पता भी चला कि इतने बड़े अभियान में क्या समस्याएं आ रही हैं? पीएम ने आगे कहा कि हमने मई में देखा कि कैसे लगातार बढ़ रहे केस, टीकों के लिए बढ़ते रुझान और दुनिया में टीकों की स्थिति को देखते हुए राज्यों की राय फिर बदलने लगी। कई राज्यों ने कहा कि पहले वाली व्यवस्था ही अच्छी थी। राज्यों की इस मांग पर हमने भी सोचा कि राज्यों को दिक्कत न हो और सुचारू रूप से टीकाकरण हो। इसलिए हमने 1 मई से पहले वाली व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया है।