आईटीडीसी के बाद बिजली क्षेत्र में पीएसयू कंपनियों पर सीएमडी पद को विभाजित करने का दबाव

नई दिल्ली । बाजार नियामक सेबी द्वारा शीर्ष 500 सूचीबद्ध फर्मों के लिए अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के पद को विभाजित करने की अनिवार्यता के चलते सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों पर दबाव बढ़ रहा है।

इस अनिवार्यता को पूरी करने की समयसीमा में चार महीने बाकी हैं और इस बीच सार्वजनिक क्षेत्र की आईटीडीसी ने इस नियम का पालन करते हुए संबित पात्रा को अध्यक्ष नियुक्त किया।

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुरू में सूचीबद्ध कंपनियों को एक अप्रैल 2020 तक अध्यक्ष और एमडी / सीईओ की भूमिकाओं को अलग करने का आदेश दिया था, हालांकि बाद में अतिरिक्त दो साल का वक्त देने का फैसला किया गया।

यह नियमन अब एक अप्रैल 2022 से बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू होगा।

वर्ष 2020 के अंत तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में सिर्फ 53 प्रतिशत ने इस प्रावधान का अनुपालन किया था और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को इस दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है।

इस संबंध में बिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों पर दबाव अधिक होने का अनुमान है, क्योंकि उनमें से ज्यादातर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में शामिल हैं। इनमें एनटीपीसी, एनएचपीसी, पीजीसीआईएल, आरईसी, पीएफसी, एसजेवीएनएल और पीटीसी इंडिया शामिल हैं।

कानूनी और वित्तीय परामर्श समूह कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के संस्थापक पवन के. विजय ने कहा कि किसी भी कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में अचानक बदलाव से एक शून्य पैदा होता है, जिसे सावधानी के साथ प्रबंधित करने की जरूरत होती है।

इस साल की शुरुआत में कॉरपोरेट प्रशासन सम्मेलन में सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा था कि दोनों पदों को अलग करने के पीछे मूल विचार प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करना नहीं है, बल्कि कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार करना है।

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